तलाक लेने के लिए सबसे पहले क्या करना चाहिए?

तलाक लेने के लिए सबसे पहले क्या करना चाहिए?

तलाक लेने के लिए जरूरी नियम और कारण क्या हैं ? 

तलाक का सीधा मतलब विवाह के खत्म होने से होता है। अर्थात दो व्यक्ति जो अपनी या परिजनों की मर्जी से विवाह के बंधन में बंधे थे अब उनके बीच में कोई ऐसी दरार आ गई है जिसकी वजह से वह आगे एक दूसरे का साथ निभाना नहीं चाहते और इसी कारण में इस रिश्ते को खत्म करना चाहते हैं।  लेकिन यह बात हद से आगे बढ़ जाए और कोई भी शख्स एक दूसरे को समझने के लिए तैयार ना हो,  एक दूसरे के लिए जिंदगी में समस्याएं बढ़ रही हों तो ऐसे समय में तलाक लेना कोई गलत बात नहीं है और भारत का संविधान भी इसकी इजाजत देता है। आज अपने इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेंगे कि आखिर तलाक लेने के यह कौन से कारण उत्तरदाई होते हैं और तलाक के बाद चाइल्ड कस्टडी किसे मिलती है?

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तलाक लेने के नियम क्या है? 

भारत में विवाह और तलाक से संबंधित धर्म के आधार पर अलग-अलग नियम हैं। 

जैसे हिंदू मैरिज एक्ट, मुस्लिम पर्सनल लॉ, पारसी एक्ट । 

मुख्य रूप से यदि कोई दंपति अर्थात पति-पत्नी एक दूसरे से अलग होना चाहते हैं तो दो तरीके से तलाक के लिए अर्जी लगा सकते हैं। एक तरीका होता है आपसी सहमति अर्थात दोनों ही पति पत्नी आपसी सहमति के साथ रिश्ते को खत्म करना चाहते हैं और अपने आगे की जिंदगी अलग-अलग बिताना चाहते हैं। अक्सर ऐसे तरीके में तलाक आसानी के साथ मिल जाता है।

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दूसरा तरीका होता है एक तरफा तलाक कोई एक व्यक्ति नहीं चाहता है कि वह विवाह को खत्म करें लेकिन दूसरा व्यक्ति चाहता है कि इस रिश्ते को खत्म होना चाहिए। ऐसे में एक तरफा तलाक की मांग की जाती है।

हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक का प्रावधान

हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अंतर्गत तलाक का प्रावधान सेक्शन 13बी (1) में किया गया है। इसके अनुसार पति और पत्नी दोनों में से कोई भी तलाक की अर्जी अपने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दे सकता है। लेकिन यहां पर इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए तलाक लेने के लिए हिंदू मैरिज एक्ट में कुछ विशेष कारणों का प्रावधान है। जिनके आधार पर ही तलाक हो सकती है जैसे – 

  1. व्यभिचार
  2. हिंसा
  3. अलगाव(परित्याग)
  4. मानसिक विकार
  5. यौन संक्रमण
  6. कुष्ठ रोग
  7. धर्म परिवर्तन
  8. सन्यास

यदि पति और पत्नी दोनों की शादी के बीच ऊपर लिखे कारणों का पता चलता है तो इसे आधार बनाकर तलाक की अर्जी लगाई जा सकती है। 

हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार तलाक की अर्जी लगने के बाद 6 महीने से लेकर 18 महीने के बीच का समय कूलिंग पीरियड के तौर पर रखा जाता है और ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि तलाक लेने वाले दंपत्ति को शादी बचाने का मौका मिल जाए।

तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पर एक टिप्पणी की थी जिसके अनुसार यदि पति और पत्नी के बीच रिश्ता ज्यादा खराब हो जाए और कोर्ट को ऐसा महसूस हो जाए कि अब रिश्ते में सुलह की कोई गुंजाइश नहीं बची है तो ऐसी स्थिति में कोर्ट 6 महीने इंतजार भी नहीं करने की आवश्यकता है। संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत कोर्ट तुरंत तलाक की मंजूरी दे सकता है।

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तलाक के बाद चाइल्ड कस्टडी किसे मिलती है?

वैसे तो हमारे देश भारत में हमेशा से ही बच्चों की जिम्मेदारी अक्सर माता पर रहती है लेकिन यदि बच्चों के माता और पिता यानी पति पत्नी तलाक लेने का निर्णय लेते हैं  तो ऐसी स्थिति में सबसे बड़ा सवाल होता है कि बच्चे किसके पास रहेंगे। ऐसे में कानून भी मानता है कि बच्चे के सर्वांगीण विकास और उनके हित को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए। इसलिए भारत का कानून चाइल्ड कस्टडी को भी काफी ध्यान में रखकर फैसला सुनाते और किसी भी एक व्यक्ति पर चाइल्ड कस्टडी की पूरी जिम्मेदारी को थोपना  बिल्कुल भी उचित नहीं मानता है। इसलिए यह दोनों की सहमति पर निर्भर करता है कि कौन बच्चों को अपने पास रखना चाहेगा। लेकिन कोर्ट इस  बात को भी ध्यान रखता है कि आर्थिक, सामाजिक और मानसिक रूप से बच्चे का पालन पोषण माता या पिता में से कौन कर सकता है। माता-पिता को यह बात  कोर्ट को यह भी बतानी  होती है कि वह किस तरीके से अपने बच्चों की बेहतर देखभाल कर पाएंगे। ऐसे में दूसरे साथी से बच्चों की कस्टडी के लिए आर्थिक मदद के लिए भी कोर्ट आदेश करता है।

अतः भारत में तलाक की प्रक्रिया आज भी काफी जटिल है और इसके पीछे का कारण है हमारी प्राचीन संस्कृति में तलाक जैसा कोई नियम होता ही नहीं था। लेकिन बढ़ती आधुनिकता में भारत के अंदर काफी संख्या में तलाक बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं जो कि वास्तव में एक चिंताजनक स्थिति है। इससे पहले ऐसे हाल अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों के होते थे लेकिन भारत में वर्तमान समय में तलाक का चलन काफी ज्यादा हो चला है। लेकिन कभी-कभी ऐसी सिचुएशन से गुजरना पड़ता है जब तलाक ही एकमात्र विकल्प बचता है इसके लिए कानून का द्वार हमेशा ही हर व्यक्ति के लिए खुला रहता है। 

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यदि आप भी तलाक से संबंधित किसी भी तरह की सहायता चाहते हैं तो आज ही हमारी कंपनी लीड इंडिया से संपर्क करें।

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