कॉल डिटेल्स की कोर्ट केस में क्या अहमियत होती है?

कॉल डिटेल्स की कोर्ट केस में क्या अहमियत होती है?

आजकल ज्यादातर सबके पास अपना पर्सनल मोबाइल होता है। मोबाइल में यूज़ होने वाली सभी सिम और लैंडलाइन फोन टेलीकॉम कंपनीयों द्वारा उपलब्ध कराये जाते है। सभी टेलीकॉम कंपनियां अपने यूज़र्स का रिकॉर्ड रखती है। टेलीकॉम डिपार्टमेंट का आर्डर है कि सभी टेलीकॉम कंपनियों को पिछले 2 साल तक का कॉल डिटेल्स का डेटा रखना जरूरी है। टेलीकॉम कंपनी को कभी भी डेटा डिलीट करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट से परमिशन लेनी होती है। परमिशन के बिना वह डेटा डिलीट नहीं कर सकते है।

कॉल डिटेल्स रखना क्यों जरुरी:-

मोबाइल सिर्फ बातचीत का एक जरिया नहीं बल्कि एक रिकॉर्ड भी है। टेलीकॉम कंपनियां द्वारा यह जानकारी रखी जाती है कि उनके यूज़र्स कब, कहां, किस से और कितनी देर तक फ़ोन पर बात कर रहे है। यह जानकारी रखने का मकसद है कि क्रिमिनल्स जो फ़ोन का यूज़ करके क्राइम करते है, उन्हें पकड़ा जा सके। साथ ही, कोर्ट में भी इन डिटेल्स को केस के फैक्ट साबित करने के लिए सबूत के तौर पर यूज़ किया जाता है।

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डेटा में क्या इनफार्मेशन है:-

टेलीकॉम कंपनियों के डेटा में उनके यूज़र्स की यह सभी जानकारी मौजूद होती है –

(1) यूज़र का मोबाइल नंबर।
(2) वह नंबर्स जिन पर यूज़र के नंबर से कॉल किया गया है।
(3) वह सभी नंबर्स जिनसे यूज़र के पास कॉल आया है।
(4) यूज़र की लोकेशन जहां से कॉल किया गया है।
(5) सभी कॉल्स की कॉल डयूरेशन।

कॉल रिकॉर्डिंग की जा सकती है:-

कॉल डिटेल्स में यूज़र की वॉइस रिकॉर्डिंग नहीं की जा सकती है। क्योंकि ऐसा करना यूज़र के मौलिक अधिकार राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन करना होगा। कोई आर्डर होने पर, किसी व्यक्ति की प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। और अगर किसी ने यह रिकॉर्डिंग की है तब भी कॉल रिकॉर्डिंग को अदालत में पेश नहीं किया जा सकता। क्योंकि यह एक अपराध के समान है।

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लेकिन, कॉल डिटेल्स बिलकुल पेश की जा सकती है। ताकि यह साबित किया जा सके की जो भी फैक्ट्स कोर्ट में बताए जा रहे हैं वह सही है या गलत है। किसी एक व्यक्ति का किसी दूसरे व्यक्ति से कोई संबंध रहा है या नहीं। यह सभी बातें कॉल डिटेल से साबित हो सकती है।

कैसे केसिस में जरूरत पड़ती है:-

कॉल डिटेल्स किस केस में यूज़ होंगे, ऐसी कोई कंडीशन नहीं है। जरूरत पड़ने पर इन्हे सिविल और आपराधिक दोनों केसिस में यूज़ किया जा सकता है। यह पूरी तरह केस पर डिपेंड करता है कि डिटेल्स की जरूरत है या नहीं।

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