भारतीय संविधान के सेक्शन 257 सीआरपीसी के अनुसार, एक कम्प्लेनेंट मतलब जिस व्यक्ति ने एफआईआर या केस के रुप में शिकायत की है वो अपनी कम्प्लेन को वापस ले सकता है बशर्ते उसे इसके लिए सभी नियमों और कानूनों का पालन करना होगा। सीआरपीसी के सेक्शन 257 के तहत आपराधिक शिकायत या क्रिमिनल कंप्लेंट को वापस लेने की पूरी वैध प्रक्रिया इस प्रकार है।
कम्प्लेनेंट या उनके अधिकृत/ऑफिशियल प्रतिनिधि को शिकायत या कम्प्लेन वापस लेने का अनुरोध या रिक्वेस्ट करते हुए मजिस्ट्रेट के सामने एक आवेदन फाइल करना होता है।
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इस आवेदन में निम्नलिखित जानकारी शामिल होनी जरूरी है।
केस की सभी डिटेल्स
केस का नंबर/संख्या
केस फाइल करने की तिथि/डेट
अभियुक्त का नाम
कोर्ट केस वापस लेने की प्रक्रिया क्या है?
यह सभी डिटेल्स जज को देने के बाद मजिस्ट्रेट इस आवेदन या एप्लीकेशन पर सुनवाई करेगा और कम्प्लेनेंट द्वारा की गयी शिकायत को वापस लेने की वजहों के बारे में विचार करेगा। मजिस्ट्रेट परखेगा कि क्या कम्प्लेनेंट द्वारा शिकायत वापस लेना वैध और सही है। साथ ही, मजिस्ट्रेट इस बात की भी पूरी तरह जांच करते है कि कहीं कम्प्लेनेंट पर अपराधी के द्वारा किसी प्रकार का दबाव या जोर-जबरदस्ती तो नहीं की जा रही है।
पूरी जांच और विचार करने के बाद जब मजिस्ट्रेट पूरी तरह से कम्प्लेन को वापस लेने के बारे में संतुष्ट हो जाते हैं और जज को लगता है कि कम्प्लेनेंट का केस वापस लेने का कारण वैलिड है, तो वह आवेदन को अनुमति दे देते है और शिकायत वापस ली जा सकती है।
एप्लीकेशन ख़ारिज होना
अगर मजिस्ट्रेट केस को वापस लेने की वजहों से संतुष्ट नहीं हो या अगर उन्हें लगता है कि केस को किसी दबाव या लालच में वापस लिया जा रहा है या फिर ऐसा करना कम्प्लेनेंट के हित में नहीं है, तो वह आवेदन को अस्वीकार यानि मना कर सकते हैं और केस को पहले की तरह जारी रख सकते हैं।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि एक बार शिकायत वापस लेने के बाद केस को पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है और आरोपी को बरी कर दिया जाता है। कम्प्लेनेंट बाद में उसी केस में दूसरी शिकायत फाइल नहीं करा सकता है।
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