शादी के बाद नाम बदलना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें कई कानूनी और प्रशासनिक कदम उठाने होते हैं। कई लोग शादी के बाद अपना नाम बदलना पसंद करते है। इस ब्लॉग में हम यह बताएंगे की क्या नाम बदलना अनिवार्य है और इसकी प्रक्रिया क्या है। इसको सरल तरीके से समझाया जाएगा ताकि आप इस बदलाव को आसानी से और बिना किसी परेशानी के कर सकें।
क्या शादी के बाद नाम बदलना कानूनी तौर पर अनिवार्य है?
व्यक्तिगत विकल्प: शादी के बाद नाम बदलना आमतौर पर एक व्यक्तिगत निर्णय होता है। बहुत से लोग अपने पति या पत्नी का सरनेम अपनाते हैं, लेकिन यह कानूनी तौर पर अनिवार्य नहीं है। कुछ लोग अपने पेशेवर कारणों या व्यक्तिगत पसंद के कारण अपना नाम नहीं बदलते। आप और आपके पार्टनर तय कर सकते हैं कि क्या आपको नाम बदलना है या नहीं।
संस्कृतिक और सामाजिक कारण: शादी के बाद नाम बदलने का निर्णय अक्सर सांस्कृतिक परंपराओं और सामाजिक अपेक्षाओं से प्रभावित होता है। कई जगहों पर, शादी के बाद नाम बदलना एक नई पारिवारिक शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। कुछ लोग अपने पार्टनर के परिवार से मेल खाने के लिए नाम बदलते हैं, क्योंकि यह समाज में स्वीकार्यता प्राप्त करने का तरीका हो सकता है। लेकिन कुछ संस्कृतियों में, लोग अपने पहले वाले नाम को ही बनाए रखते हैं, जो उनकी व्यक्तिगत या पेशेवर पसंद को दिखाता है।
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
शादी के बाद नाम बदलने पर क्या कानूनी प्रावदान है ?
भारतीय कानून: भारत में, शादी के बाद नाम बदलना कानूनी रूप से ज़रूरी नहीं है। यह पूरी तरह से आपकी इच्छा और डाक्यूमेंट्स को अपडेट करने की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। जैसे हिन्दू मैरिज एक्ट या मुस्लिम पर्सोनल लॉ नाम बदलने की कोई ज़रूरत नहीं बताते, लेकिन ये डाक्यूमेंट्स को अपडेट करने में मदद कर सकते हैं। नाम बदलना आपकी पसंद पर है, आप चाहें तो अपने नाम को डाक्यूमेंट्स पर बदल सकते हैं।
इंटरनेशनल पर्सपेक्टिव: दुनियाभर में शादी के बाद नाम बदलने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे अमेरिका में, नाम बदलना आम बात है लेकिन यह कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है। लोग आमतौर पर अपनी पसंद के अनुसार नाम बदलते हैं। कुछ यूरोपीय देशों में यह प्रक्रिया अधिक फॉर्मल हो सकती है, लेकिन यह भी ज्यादातर व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर होती है। मुख्य बात यह है कि नाम बदलना अक्सर व्यक्तिगत और सांस्कृतिक प्राथमिकताओं पर आधारित होता है, लीगल ऑब्लिगेशन पर नहीं।
शादी के बाद नाम बदलने के लिए आवश्यक कौन-कौन से डाक्यूमेंट्स हैं?
- शादी के बाद नाम बदलने के लिए आपको एक नोटरीज़ेड एफिडेविट तैयार करना होगा। यह एफिडेविट आपको स्टांप पेपर (आमतौर पर INR 10 का) पर बनवाना है और इसमें आपके पुराने और नए नाम, आपके पिता का नाम (या शादीशुदा महिलाओं के लिए पति का नाम), आपका पता, और शादी की पुष्टि के साथ नाम बदलने का कारण साफ-साफ लिखना होगा। इसे दोनों पति-पत्नी को नोटरी पब्लिक के सामने साइन करना होगा।
- शादी के बाद मिलने वाला मैरिज सर्टिफिकेट एक आधिकारिक डॉक्यूमेंट है जो मैरिज रजिस्ट्रार से मिलता है। यह आपकी शादी का प्रमाण होता है और नाम बदलने के कारण को सही साबित करने में मदद करता है।
- अपनी पहचान साबित करने के लिए आपको आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट की फोटोकॉपी देनी होगी। ये दस्तावेज आपके नाम और पते की पुष्टि करते हैं।
- आपको और आपके पति या पत्नी के हाल ही की पासपोर्ट साइज की फोटो देने की जरूरत होगी।
नाम बदलने की प्रक्रिया क्या है?
फर्स्ट स्टेप – अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाएं
सेकंड स्टेप – सभी विवरणों के साथ एक एफिडेविट प्राप्त करें
थर्ड स्टेप – अब अपने एफिडेविट को नोटरी से सर्टिफाइड करवाएं
फोर्थ स्टेप – तीसरी पार्टी को जानकारी दें (पब्लिकेशन)
फिफ्थ स्टेप – गज़ेट नोटिफिकेशन जारी कराएँ
- सबसे पहले मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए भारतीय सरकार की वेबसाइट से फॉर्म डाउनलोड करें। इसे भरकर सब रजिस्ट्रार ऑफिस में जमा करें, साथ में फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य आइडेंटिफिकेशन डाक्यूमेंट्स भी दें। सर्टिफिकेट 45-60 दिनों में मिलेगा।
- अपने पति का सरनेम अपनाने के लिए, एक एफिडेविट तैयार करें जिसमें आपका पुराना नाम, नया नाम, पति का नाम, पता और शादी का सर्टिफिकेट शामिल करें। एक फोटो भी अटैच करें और एफिडेविट पर साइन करें। इसे ₹10 के स्टाम्प पेपर पर छपवाएँ।
- एफिडेविट तैयार करने के बाद, उसे नॉटरी पब्लिक से सर्टिफाइड करवाएँ। यदि आप विदेश में रहते हैं, तो एफिडेविट को भारत में स्थित अपने देश की एम्बेसी से भी सर्टिफाइड करवाना होगा।
- एफिडेविट तैयार करने के बाद, नाम बदलने की जानकारी दो न्यूज़पेपर में छपवाएँ—एक नेशनल इंग्लिश न्यूज़पेपर और एक लोकल लैंग्वेज के न्यूज़पेपर में।
- नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए, न्यूज़पेपर में विज्ञापन के बाद, राष्ट्रीय गज़ेट में भी इसे पब्लिश करवाएँ। इसके लिए, कंट्रोलर ऑफ पब्लिकेशन के पास सभी एफिडेविट, न्यूज़पेपर विज्ञापन, पहचान पत्र, मैरिज सर्टिफिकेट और अन्य जरूरी डॉक्युमेंट्स लेकर जाएँ।
शादी के बाद नाम बदलने के क्या लाभ है?
जैसे की पहले बताया गया है कि, अपने पति का सरनेम अपनाना कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है और आप चाहें तो इसे न अपनाने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, अपने साथी का सरनेम अपनाने के कई फायदे हो सकते हैं।
- जॉइंट इन्वेस्टमेंट और फाइनेंसियल डाक्यूमेंट्स संभालना आसान हो जाता है।
- बच्चों को स्कूल में दाखिल करना सरल हो जाता है।
- समाज में आपके रिश्ते को अधिक आधिकारिक मानता है।
- आपको यह नहीं बताना पड़ता कि आप दोनों के सरनेम अलग क्यों हैं, जिससे समय और भ्रम बचता है।
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