ब्लैकमेल करने पर क्या सज़ा दी जाती है?

ब्लैकमेल करने पर क्या सज़ा दी जाती है?

ब्लैक मेलिंग के अंतर्गत कौन कौन से कार्य शामिल है 

ब्लैकमेलिंग एक अपराध है जिसमें लोग निम्नलिखित कार्यों का प्रयोग करते हैं:

किसी व्यक्ति को सच्ची या झूठी गोपनीय जानकारी के खुलासे या प्रचार करने की धमकी देना।

किसी व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक नुकसान से जुड़ा कोई खतरा दिखाना।

अपराधी की मांगों को पूरा करने के लिए किसी काम का करवाई करना। जैसे पर्सनल प्रॉफिट, पद, धन, संपत्ति, बदला, शक्ति आदि।

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ये सभी काम ब्लैकमेलिंग का एक रूप हैं जो कि गैरकानूनी होते हैं। लोगों को ब्लैकमेल के ज़रिए उनकी अधिकतम चाहतों को पूरा करने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। इसलिए ब्लैकमेलिंग एक अमानवीय कार्य है जो कि समाज के नियमों का उल्लंघन करता है।

भारतीय कानून के तहत, ब्लैकमेल को एक अपराध माना जाता है जिसका दंड भी निर्धारित होता है। धमकी या ब्लैकमेल के मामलों में विभिन्न कानूनी धाराएं शामिल हो सकती हैं, जैसे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 385 और 503।

धारा 384 में बताया गया है कि जो कोई दूसरे व्यक्ति को किसी बात का धमकी देकर या फिर उसे किसी बात के लिए रिश्वत मांगकर ब्लैकमेल करता है, वह अपराधी होगा। इसके लिए दंड जेल की सजा भी हो सकती है।

धारा 385 में बताया गया है कि यदि कोई दूसरे व्यक्ति को किसी गलत या झूठी जानकारी से डराकर उससे कुछ माँगता है, तो भी वह अपराधी होगा और उसे जेल की सजा भी हो सकती है।

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धारा 503 में बताया गया है कि जो कोई दूसरे व्यक्ति को आड़े हाथों उसकी संपत्ति पर हमला करके या फिर खराब करके उसे ब्लैकमेल करता है, तो उसे भी जेल की सजा भुगतनी पड़ सकती है।

ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग करने पर सजा

ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354D के तहत दंड दिया जा सकता है जो कि सामाजिक मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप आदि के माध्यम से किसी को उत्पीड़ित करने के लिए दंड प्रदान करती है। इसके अंतर्गत जबरदस्ती, झूठ, नकली या अश्लील विषयों के संदेशों के जरिए किसी को उत्पीड़ित किया जाता है। दंड के तहत, अपराधी को सालों की सजा और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

ऑफलाइन ब्लैकमेलिंग करने पर सजा

ऑफलाइन ब्लैकमेलिंग करने पर भी भारतीय दंड संहिता की धारा 384 के तहत दंड दिया जा सकता है जो कि किसी से जबरदस्ती वसूली करने के लिए दंड प्रदान करती है। इसके अंतर्गत, अपराधी को जुर्माने के साथ-साथ सजा के रूप में कारावास या फिर जुर्माना देना पड़ सकता है।

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