भारत में मानहानि की क्या सज़ा है?

भारत में मानहानि की क्या सज़ा है?

भारतीय दंड संहिता के अनुसार, मानहानि के लिए धारा 499 द्वारा प्रावधानित सजा शामिल होती है। यह धारा  कहती है कि अगर कोई व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के सम्मान को क्षति पहुंचाई जाती है तो उसे दोनों में से किसी भांति की सजा हो सकती है: जुर्माना (फाइन) या कारावास (जेल सजा)।

इन सजाओं की विस्तृत जानकारी धारा 500 में दी गई है। धारा 500 व्यक्ति को जुर्माना या कारावास की सजा का प्रावधान करती है, जिसमें तय सजा का प्रावधान नहीं है। जुर्माना की मान्यता या कारावास की अवधि न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से तय की जाती है, जो आपके प्रशासनिक क्षेत्र और आपके आरोप के सम्बंध में विभिन्न कानूनी प्रावधानों पर निर्भर करेगी।

सजा की अवधि की तय केवल न्यायिक निर्णय द्वारा होती है और यह घटनाक्रम, आरोप की प्रकृति, पूर्व अपराधिक रिकॉर्ड, संदिग्धता के प्रमाण, आदिक जैसे अनेक तत्वों पर आधारित हो सकती है। इसलिए, न्यायिक प्रक्रिया में पूर्णता और न्यायिक सुनवाई के मानदंड का पालन किया जाता है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

मानहानि के लिए कार्यवाही कैसे करें?

मानहानि के लिए कार्यवाही करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

शिकायत दर्ज करें

मानहानि के मामले में, पहले चरण है कि आपको इसकी शिकायत दर्ज करनी होगी। आपको स्थानीय पुलिस थाने में जाकर शिकायत दर्ज करनी होगी और मामले के संबंधित दस्तावेज़ और बयान देने होंगे।

जांच और अभियान का प्रारंभ

शिकायत के बाद, पुलिस आपकी शिकायत की जांच करेगी और आपके द्वारा प्रस्तुत बयान की पुष्टि करेगी। वे संबंधित पक्षों से प्रमाण प्राप्त कर सकते हैं और आवश्यकता अनुसार अन्य संगठनों और विशेषज्ञों की सहायता भी ले सकते हैं।

इसे भी पढ़ें:  भारत में वेश्यावृत्ति को क्या दर्जा दिया गया है?

आरोपी की गिरफ्तारी

यदि जांच के बाद पुलिस को पर्याप्त प्रमाण प्राप्त होता है कि मानहानि का आरोपी पहचाना जा सकता है, तो वे आरोपी को गिरफ्तार कर सकते हैं।

न्यायिक प्रक्रिया

गिरफ्तारी के बाद, मामला न्यायिक प्रक्रिया में चलता है। आरोपी को न्यायिक अदालत में पेश किया जाएगा और उसे उनके आरोपों का समर्थन करना होगा। न्यायिक प्रक्रिया के दौरान, आरोपी और पीड़ित दोनों को मौका मिलेगा अपने पक्ष की पेशकश करने के लिए।

दंडन

यदि आरोपी को मानहानि के दोषी पाया जाता है, तो उसे दंडित किया जाएगा। सजा की अवधि न्यायिक निर्णय द्वारा तय की जाती है और इसमें आपके द्वारा किए गए आरोप की गंभीरता, आरोपी के पूर्व अपराधिक रिकॉर्ड, विधि की प्रावधानिक सजा के मापदंड आदि को ध्यान में रखा जाता है।

मानहानि में कितने दिन की सजा का प्रावधान है?

यदि व्यक्ति मानहानि का दोषी पाया जाता है तो उसे 2 साल की सजा या जुर्माना या दोनों दंड भी दिए जा सकते हैं।

यह सजा इस बात पर निर्भर करती है कि उस व्यक्ति ने कितने गंभीर रूप में व्यक्ति के मानहानि की है या उसकी मानहानि करने के कारण जिस पक्ष के साथ मानहानि हुई है उसे कितनी क्षति पहुंची है।

मानहानि के लिए भारतीय दंड संहिता में निर्धारित सजा की अवधि नहीं है। धारा 499 और 500 में मानहानि की परिभाषा और उससे संबंधित दण्डों की बात की गई है। सजा की अवधि को न्यायिक प्रक्रिया के दौरान न्यायिक अदालत द्वारा तय की जाती है, जिसमें मामले की गंभीरता, प्रमाण पत्र, पीड़ित के दावे आदि को मध्यस्थता के रूप में विचार में लिया जाता है। अवधि विशेष मामले के प्रत्येक केस के आधार पर न्यायिक अदालत द्वारा निर्धारित की जाती है। इसलिए, मानहानि के लिए सजा की अवधि न्यायिक प्रक्रिया के परिणामस्वरूप तय की जाती है।

इसे भी पढ़ें:  क्या खारिज किए गए सिविल मामले को फिर से खोला जा सकता है?

मानहानि अथवा इससे संबंधित किसी भी कानूनी सहायता के लिए आज ही लीड इंडिया से संपर्क करें।

Social Media