कोई मुकदमा शुरू करने से पहले सबसे महत्वपूर्ण कार्रवाई कानूनी नोटिस को जारी करना होता है। क्योंकि इससे अदालत के बाहर समझौता संभव हो सकता है। कानूनी नोटिस पक्षकारों के बीच विचार-विमर्श का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, जिससे पक्षकारों का अदालती कार्यवाही पर खर्च होने वाला समय और संसाधन बच जाता है।
कई बार एक कानूनी नोटिस लोन वसूली के मामले में भी बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। लोन की वसूली के लिए दूसरे पक्ष के खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई करने से पहले कानूनी नोटिस देना आवश्यक होता है।
आइये आज इस आलेख के माध्यम से हम समझते हैं कि
लोन वसूली के लिए एक कानूनी नोटिस का क्या महत्व है?
लोन वसूली के लिए कानूनी नोटिस का महत्व समझने से पूर्व आइये समझते हैं कि
एक कानूनी नोटिस क्या होता है?
कानूनी नोटिस भेजना कानूनी प्रक्रिया का एक प्रारंभिक चरण है। यह भी कहा जा सकता है कि भारत में व्यावहारिक रूप से सभी कानूनी कार्रवाइयों की नींव एक कानूनी नोटिस ही है। कानूनी नोटिस पेशेवर रूप से लिखित दस्तावेज होते हैं जो पीड़ित पक्ष द्वारा भेजे जाते हैं। प्राप्तकर्ता के कार्यों या निष्क्रियताओं के परिणामस्वरूप प्रेषक को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी चीज़ के बारे में प्राप्तकर्ता को चेतावनी देने के लिए इसे डिलीवर किया जाता है।
एक कानूनी नोटिस तथ्यों को सामने रखता है और प्राप्तकर्ता को एक संभावित अदालती मामले के प्रति सचेत करता है जो प्रेषक की शिकायत के पूरा न होने पर दायर किया जाएगा। यह प्राप्तकर्ता के लिए एक अंतिम चेतावनी के रूप में कार्य करता है और यदि इसे अनदेखा किया जाता है तो इसका परिणाम औपचारिक कानूनी प्रक्रियाओं के रूप में हो सकता है।
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लोन वसूली के लिए कानूनी नोटिस कब भेजें?
जब किसी व्यक्ति को उस की लोन दी हुई बकाया राशि को पुनर्प्राप्त नहीं होती है तो अपराधी पक्ष को कानूनी नोटिस देना लोन की वसूली में पहला कदम होता है।
लोन वसूलने के ज़्यादातर मामले कानूनी नोटिस देने के साथ ही शुरुआती चरण में ही निपट जाते हैं। हालांकि यदि कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो भुगतान न किए गए धन को पुनः प्राप्त करने के लिए कानूनी उपाय करने के लिए अदालत से संपर्क किया जा सकता है। न्यायालय में वाद दायर करने से पहले एक कानूनी नोटिस यह प्रदर्शित करता है कि आपने अपनी ओर से मामले को निपटाने का एक ईमानदार और विधिक प्रयास किया है।
हालांकि लोन वसूली के लिए कानूनी नोटिस देने का एक दायरा भी निश्चित है। यदि लोन वसूली का मामला उस दायरे में नहीं है तो कानूनी नोटिस नहीं दिया जा सकेगा। आइये समझते हैं
वे दायरा क्या हैं?
- लोन वसूली के मामले में वचन पत्र का होना आवश्यक है।
- वे दावे जिनमें वादी प्रतिवादी को भुगतान किए गए धन की वसूली का प्रयास करता है ऐसे दावों को एक लिखित समझौते या कानूनी प्रावधान के साक्ष्य द्वारा समर्थित होना चाहिए।
- इस आदेश का जवाब सुप्रीम कोर्ट सिविल कोर्ट या ऐसी अन्य अदालत में दायर किया जाएगा जिसे सुप्रीम कोर्ट अधिसूचित कर सकता है।
लोन वसूली के लिए कानूनी नोटिस भेजने के लिए जिन आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता है वे हैं –
दस्तावेज
- किसी दोस्त, रिश्तेदार आदि को बकाया या उधार दिए गए पैसे के सबूत का हलफनामा।
- नौकरी का अनुबंध जो उस राशि को निर्दिष्ट करता है जो आपकी कंपनी को आपकी सेवा के बदले आपको भुगतान करना है यदि पैसा नियोक्ता से वसूल किया जाना है।
- अतिरिक्त सहायक दस्तावेज़ जिनका उपयोग आप पैसे की वसूली से संबंधित विवाद में अपने मामले का समर्थन करने के लिए कर सकते हैं।
लोन वसूली के लिए दिये जाने वाले कानूनी नोटिस में क्या क्या होना चाहिए इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
एक लोन वसूली के कानूनी नोटिस में निम्न बातें आवश्यक हैं
- कानूनी नोटिस को ठीक से और विशेष रूप से अधिवक्ता के लेटरहेड पर लिखा जाना चाहिए।
- इसमें अधिवक्ता का पता और फोन नंबर होना चाहिए।
- कानूनी नोटिस में प्राप्तकर्ता का नाम, पता और संपर्क जानकारी के साथ-साथ इसे जारी करने की तिथि होनी चाहिए।
- प्रेषक का नाम और संपर्क जानकारी दी जानी चाहिए।
- नोटिस में यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि दूसरे पक्ष की कार्रवाई या निष्क्रियता ने किसी के अधिकारों का उल्लंघन कैसे किया और परिणामस्वरूप व्यक्ति किस उपाय की मांग कर रहा है।
- संदेश को सरल समझने योग्य भाषा में लिखा जाना चाहिए।
- विरोधी पक्ष को यह समझने के लिए कि उसके दृष्टिकोण से क्या हुआ कानूनी नोटिस की सामग्री को पैराग्राफ में विभाजित किया जाना चाहिए।
- विरोधी पक्ष को एक स्पष्ट निर्देश और एक समय सीमा दी जानी चाहिए।
- अधिवक्ता और प्रेषक दोनों को नोटिस की पावती (तारीख के साथ) अवश्य देनी चाहिए।
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