दिल्ली में घरेलू हिंसा का शिकार होने पर क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?

What legal action can be taken if you are a victim of domestic violence in Delhi

घरेलू हिंसा एक गंभीर समस्या है जो पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को दुनिया भर में प्रभावित करती है, जिसमें दिल्ली भी शामिल है। यह घरेलू रिश्तों में एक दुर्व्यवहार का रूप होता है, जिसका उद्देश्य पीड़ित को नियंत्रित करना, डराना या नुकसान पहुँचाना होता है। यह समस्या, बहुत से लोगों को प्रभावित करती है और शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक नुकसान का कारण बनती है, कभी-कभी तो यह मौत का कारण भी बन सकती है। घरेलू हिंसा को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या और क़ानूनी अपराध माना जाता है।

भारतीय कानूनी प्रणाली ने घरेलू हिंसा को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे पीड़ितों को सुरक्षा, न्याय और राहत मिल सके। यदि आप दिल्ली में घरेलू हिंसा का शिकार हैं, तो यह जानना जरूरी है कि आपके पास कौन से कानूनी विकल्प हैं। यह ब्लॉग उन लोगों के लिए एक विस्तृत मार्गदर्शिका है जो यह समझना चाहते हैं कि दिल्ली में घरेलू हिंसा के मामलों में कानूनी व्यवस्था कैसे मदद कर सकती है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

घरेलू हिंसा क्या है?

घरेलू हिंसा किसी भी प्रकार की हिंसा या दुर्व्यवहार है जो घरेलू या करीबी रिश्तों में होता है। यह आमतौर पर पति, पत्नी, परिवार के सदस्य या कोई ऐसा व्यक्ति करता है जिसके साथ पीड़ित का करीबी रिश्ता होता है। घरेलू हिंसा के कई रूप हो सकते हैं, जैसे:

  • शारीरिक हिंसा: पीटना, थप्पड़ मारना, घूंसा मारना, लात मारना या शारीरिक नुकसान पहुँचाना।
  • भावनात्मक या मानसिक हिंसा: अपमान, गालियाँ देना, धमकाना, व्यक्ति को नीचा दिखाना या नियंत्रित करना।
  • यौन हिंसा: बिना सहमति के यौन संबंध बनाना या यौन उत्पीड़न करना।
  • आर्थिक हिंसा: पैसे का रोकना, काम करने से रोकना या वित्तीय संसाधनों तक पहुँच को नियंत्रित करना।
  • मौखिक हिंसा: गाली-गलौज, चीखना-चिल्लाना।
  • धमकी और उत्पीड़न: पीड़ित को डराने-धमकाने का प्रयास करना।

घरेलू हिंसा अक्सर चक्र में होती है, जहाँ उत्पीड़न करने वाला माफी मांगता है या सुधारने की कोशिश करता है, लेकिन बाद में फिर से हिंसात्मक व्यवहार करता है। पीड़ित लोग अक्सर डर, अकेलापन और सहायता की कमी के कारण इस चक्र में फंसे रहते हैं।

घरेलू हिंसा को कौन सा कानून नियंत्रित करता है?

भारत में घरेलू हिंसा से बचाव के लिए कई कानून हैं। ये कानून पीड़ित की सुरक्षा से जुड़े होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कानून दिए गए हैं:

प्रोटेक्शन ऑफ़ वूमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, 2005

भारत में, “प्रोटेक्शन ऑफ़ वूमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, 2005″ (PWDVA) एक ऐसा कानून है जो महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाता है। यह कानून महिलाओं को सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार देता है। इस कानून के तहत, महिलाएं सुरक्षा आदेश, घर में रहने का आदेश, आर्थिक मदद और बच्चों की देखभाल का अधिकार मांग सकती हैं। इसके अलावा, इस कानून के तहत, मामलों की जांच और रिपोर्ट करने के लिए सुरक्षा अधिकारी और रिपोर्टर नियुक्त किए जाते हैं। 

भारतीय न्याय सहित, 2023

भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sahita 2023) का घरेलू हिंसा से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका है। यह संहिता भारतीय न्यायिक प्रणाली में घरेलू हिंसा के मामलों को सही तरीके से हल करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है। इसमें पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। 

 आइये उन प्रावधानों के बारे में जाने –

  • कानूनी प्रावधान: यह संहिता घरेलू हिंसा से संबंधित मामलों में कानूनी दंड और सजा की प्रक्रिया को स्पष्ट करती है।
  • सजा और जुर्माना: घरेलू हिंसा के आरोपियों को दंडित करने और जुर्माना लगाने का अधिकार देती है, जिससे हिंसा पर रोक लगाई जा सकती है।
  • पीड़ितों के अधिकार: यह कानून घरेलू हिंसा के शिकार लोगों को कानूनी सुरक्षा और सहायता देने के उपायों का उल्लेख करता है, जैसे कि सुरक्षा आदेश, पुनर्वास और आर्थिक मदद।
  • साक्ष्य का महत्व: घरेलू हिंसा के मामलों में सही साक्ष्य प्रस्तुत करने का महत्व बताता है, ताकि पीड़ितों को उचित न्याय मिल सके।
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दिल्ली में घरेलू हिंसा के खिलाफ पुलिस शिकायत कैसे दर्ज करें?

अगर आप दिल्ली में घरेलू हिंसा का शिकार हैं, तो सबसे पहले आपको अपनी सुरक्षा के लिए और कानूनी मदद के लिए अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करनी चाहिए। घरेलू हिंसा एक गंभीर समस्या है, और इसे रिपोर्ट करना बहुत ज़रूरी है।

आप अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में पहली सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करवा सकती हैं। भारतीय कानून के तहत, पुलिस को आपकी शिकायत सुननी और उस पर जांच करनी जरूरी है। अगर आपकी जान को तुरंत खतरा हो, तो पुलिस तुरंत कार्रवाई कर सकती है और आपको सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

FIR दर्ज करने के लिए कदम:

  • नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं: अगर आप खुद से पुलिस स्टेशन नहीं जा सकती हैं, तो 112 पर कॉल करके पुलिस को बुला सकती हैं। पुलिस आपकी मदद करेगी।
  • विवरण दें: आपको जो भी घटना हुई है उसका पूरा विवरण देना होगा। जैसे कि कब, कहां और किस प्रकार का अत्याचार हुआ (जैसे शारीरिक, मानसिक, यौनिक, या आर्थिक शोषण)
  • साक्ष्य दें: अगर आपके पास कोई साक्ष्य हैं, जैसे मेडिकल रिपोर्ट, चोटों की तस्वीरें या गवाहों के बयान, तो आपको वो पुलिस को देना होगा। ये साक्ष्य आपके मामले को मजबूत बनाने में मदद करेंगे।
  • दिल्ली महिला हेल्पलाइन (1091): अगर आप पुलिस स्टेशन नहीं जा पा रही हैं, तो आप दिल्ली महिला हेल्पलाइन 1091 पर कॉल कर सकती हैं। यह हेल्पलाइन 24/7 उपलब्ध है और आपको सहायता मिलेगी।

ध्यान रखें, पुलिस का काम आपकी सुरक्षा करना और आपको मदद देना है। FIR दर्ज करना एक अहम कदम है, जिससे आप आरोपी के खिलाफ कानूनी कदम उठा सकती हैं और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं।

दिल्ली में घरेलू हिंसा के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?

यदि आप दिल्ली में घरेलू हिंसा का शिकार हो रहे हैं, तो आपके पास विभिन्न कानूनी उपाय हैं। निम्नलिखित कानूनी प्रक्रियाएं हैं जो आप अपना सकती हैं:

महिला आयोग से शिकायत

दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) एक सरकारी संस्था है जो महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करती है। यदि आप घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं, तो महिला आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

महिला आयोग महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को गंभीरता से लेता है और आपके मामले में मदद करता है। आयोग का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित वातावरण देना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।

महिला आयोग आपको कानूनी सलाह भी दे सकता है, जिससे आप जान सकें कि आपके पास क्या विकल्प हैं और किस प्रकार आप अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती हैं। आयोग आपको पुलिस से लेकर कोर्ट तक, सभी कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में मार्गदर्शन देगा।

अदालत में आपराधिक मामला दर्ज करें

अगर आप घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं, तो आप दिल्ली के किसी भी परिवार अदालत में घरेलू हिंसा के खिलाफ आवेदन कर सकती हैं। अदालत में अपने मामले को साबित करने के लिए आपको साक्ष्य और गवाही की आवश्यकता हो सकती है। जैसे कि मेडिकल रिपोर्ट, गवाह, या घरेलू हिंसा के बारे में किसी अन्य प्रकार के सबूत। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत आपके पास कई कानूनी विकल्प होते हैं, जिनसे आप अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं और मुआवजा प्राप्त कर सकती हैं।आपको निम्नलिखित सहायता मिल सकती है:

  • सुरक्षा आदेश प्राप्त करना: घरेलू हिंसा के शिकार होने पर आप अदालत से सुरक्षा आदेश प्राप्त कर सकती हैं। इसका मतलब है कि अदालत आरोपी को निर्देश देती है कि वह आपको परेशान न करे और आपके पास आने से बचें। इससे आपकी शारीरिक और मानसिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
  • शारीरिक और मानसिक कष्ट के लिए मुआवजा: घरेलू हिंसा के कारण यदि आपको शारीरिक या मानसिक चोटें आई हैं, तो आप अदालत से मुआवजा भी प्राप्त कर सकती हैं। यह मुआवजा आपके इलाज के खर्च, मानसिक पीड़ा, और अन्य नुकसान के लिए हो सकता है। इस मुआवजे के जरिए अदालत आपको न्याय और सहायता प्रदान करती है।
  • प्रोटेक्टिव और रिलीफ ऑर्डर प्राप्त करना: अदालत से प्रोटेक्टिव और रिलीफ ऑर्डर प्राप्त करने का मतलब है कि आपको सुरक्षा, आश्रय और अन्य जरूरी सहायता मिल सकती है। यदि आपको घर छोड़ने की स्थिति आती है, तो अदालत आपके लिए रहने की जगह (आश्रय) भी सुनिश्चित कर सकती है। इसके अलावा, अदालत आपको वित्तीय सहायता और बच्चों की कस्टडी के लिए आदेश भी दे सकती है।
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सुप्रीम कोर्ट ने शंति देवी बनाम भारत सरकार (2016), के मामले में यह माना कि महिला को घरेलू हिंसा से बचने का पूरा अधिकार है और पति द्वारा उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना अपराध है। इस फैसले में अदालत ने यह भी कहा कि घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को तत्काल सुरक्षा मिलनी चाहिए और उन्हें कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा की शिकायतों को गंभीरता से लेने का आदेश दिया और महिला को न्याय दिलाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की बात की।

घरेलू हिंसा के मामलों में वकील की भूमिका क्या है?

घरेलू हिंसा के मामले में एक वकील की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। वकील आपके मामले को अदालत में सही ढंग से प्रस्तुत करने में मदद करता है और आपको न्याय दिलाने में सहायता प्रदान करता है। वकील की कुछ प्रमुख भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:

  • कानूनी सलाह देना: एक वकील आपको घरेलू हिंसा के बारे में सही कानूनी सलाह देगा, जिससे आप यह जान पाएंगी कि आपको किस प्रकार की कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और आपके अधिकार क्या हैं।
  • अर्जी तैयार करना: वकील घरेलू हिंसा के खिलाफ परिवार न्यायालय में आवेदन (petition) तैयार करेगा, जिसमें सुरक्षा आदेश, मुआवजा, और अन्य राहत की मांग की जाएगी।
  • मुकदमे का संचालन: वकील आपके मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में आपकी तरफ से बहस करेगा और आवश्यक दस्तावेज़ों और गवाहों के माध्यम से आपके मामले को मजबूत करेगा।
  • समझौता और मध्यस्थता: वकील आपके मामले को सुलझाने के लिए समझौते का प्रयास कर सकता है, जिससे मामला अदालत तक न पहुंचकर जल्दी हल हो सके।
  • सुरक्षा और राहत प्रदान करना: वकील अदालत में आपके लिए सुरक्षा और अन्य राहत आदेश प्राप्त करने में मदद करेगा, जिससे आपको तत्काल सुरक्षा मिल सके।

दिल्ली में घरेलू हिंसा से संबंधित अन्य कानूनी सहायता क्या हैं?

  • कानूनी सहायता (Legal aid): घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (DSLSA) जैसे संगठन से मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त कर सकती हैं। अगर आप वकील की फीस नहीं चुका सकतीं, तो आप कानूनी मदद के लिए आवेदन कर सकती हैं। यह आपको शिकायत दर्ज करने, सुरक्षा आदेश प्राप्त करने और अन्य जरूरी कानूनी कदम उठाने में आपकी मदद करेगी।
  • सहायता सेवाएँ: दिल्ली में कई एनजीओ और महिला संगठन घरेलू हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं को काउंसलिंग, कानूनी सलाह और आश्रय प्रदान करते हैं। ये संगठन उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण सहारा देते हैं जो हिंसा का सामना कर रही हैं।
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क्या घरेलू हिंसा के मामले में पीड़ित व्यक्ति तलाक की मांग कर सकता है?

अगर घरेलू हिंसा लगातार हो रही है और रिश्ता ठीक नहीं हो सकता, तो पीड़ित व्यक्ति तलाक के लिए अर्जी दे सकता है या मेंटेनेंस मांग सकता है। तलाक हिन्दू मैरिज एक्ट या स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत क्रूरता (cruelty) के अधार पर मांगा जा सकता है।

पीड़ित व्यक्ति मेंटेनेंस के लिए भी आवेदन कर सकता है, जो उसे और उसके बच्चों को आर्थिक मदद देता है, अगर वे खुद को संभालने में सक्षम नहीं हैं। न्यायालय यह तय करता है कि कितनी राशि दी जाए, इसको लेकर पति की आर्थिक स्थिति और पत्नी की जरूरतों को ध्यान में रखा जाता है।

निष्कर्ष

घरेलू हिंसा तेजी से बढ़ रही है। अगर हम इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाते या कदम नहीं उठाते, तो यह हमारे समाज को बहुत नुकसान पहुँचा सकता है। इसलिए, घरेलू हिंसा के मामलों में कानूनी अधिकारों और मदद के बारे में समझना बहुत जरूरी है। अगर आप घरेलू हिंसा का शिकार हैं, तो आपको अपनी सुरक्षा और अधिकारों के लिए मदद लेनी चाहिए। कानूनी मदद से आप अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।

अपने अधिकारों को जानने के लिए एक कानूनी एक्सपर्ट से बात करें, किसी सहायता संस्था से संपर्क करें और अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाएं। कानून आपके साथ है और मदद मिल सकती है।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. घरेलू हिंसा का शिकार होने पर मैं क्या कर सकती हूँ?

घरेलू हिंसा का शिकार होने पर आप सबसे पहले पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकती हैं। आप महिला आयोग से भी सहायता ले सकती हैं। इसके अलावा, आप अदालत में भी आवेदन कर सकती हैं और सुरक्षा आदेश, मुआवजा, और अन्य राहत प्राप्त कर सकती हैं।

2. दिल्ली में घरेलू हिंसा के मामले में पुलिस को क्या करना होता है?

दिल्ली में घरेलू हिंसा का मामला रिपोर्ट करने पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी होती है। यदि जान को खतरा है, तो पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है और सुरक्षा प्रदान करती है। इसके अलावा, पुलिस आपकी मदद के लिए 24/7 उपलब्ध रहती है।

3. क्या घरेलू हिंसा के मामले में तलाक लिया जा सकता है?

जी हां, अगर घरेलू हिंसा लगातार हो रही है और रिश्ते में सुधार संभव नहीं है, तो आप तलाक के लिए अदालत में अर्जी दे सकती हैं। तलाक की अर्जी क्रूरता के आधार पर दी जा सकती है, और इसके साथ आप मेंटेनेंस भी मांग सकती हैं।

4. अगर मुझे कानूनी सहायता की आवश्यकता है तो मैं कहां से मदद ले सकती हूँ?

अगर आप कानूनी सहायता के लिए सक्षम नहीं हैं, तो आप दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (DSLSA) से मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त कर सकती हैं। इसके अलावा, कई

5. घरेलू हिंसा के मामले में न्यायालय से क्या राहत मिल सकती है?

न्यायालय से घरेलू हिंसा के शिकार व्यक्ति को सुरक्षा आदेश, आश्रय, मुआवजा, और बच्चों की कस्टडी के आदेश मिल सकते हैं। न्यायालय पीड़ित को शारीरिक और मानसिक सुरक्षा के लिए जरूरी आदेश जारी करता है।

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