नाजायज बच्चे के क्या अधिकार होते हैं?

What rights does an illegitimate child have?

बच्चे समाज के सबसे कोमल और संवेदनशील सदस्य होते हैं, और उनके अधिकारों की रक्षा करना हर समाज और न्याय प्रणाली की जिम्मेदारी है। 

पहले के समय में नाजायज बच्चों को वैध बच्चों जैसे अधिकार नहीं मिलते थे, लेकिन अब कानून और समाज दोनों में बदलाव आया है। 

इस ब्लॉग का उद्देश्य है कि नाजायज बच्चों या उनके माता-पिता को इस विषय में सरल और कानूनी रूप से सटीक जानकारी दी जाए ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सकें और उनका प्रयोग कर सकें।

नाजायज बच्चे से क्या मतलब होता है?

“नाजायज संतान” वह होती है जिसका जन्म ऐसे संबंध से हुआ हो जिसे कानून मान्यता नहीं देता – जैसे कि विवाहेतर संबंध, लिव-इन रिलेशनशिप या दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में उत्पन्न स्थिति। 

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि “कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता, केवल संबंध हो सकते हैं।” इसका अर्थ यह है कि जन्म की परिस्थितियों के आधार पर किसी भी बच्चे को अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।

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क्या नाजायज बच्चे को कोई कानूनी अधिकार नहीं होता?

यह एक आम ग़लतफहमी है कि नाजायज संतान को कोई कानूनी हक नहीं होता। लेकिन सच यह है कि:

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 हर व्यक्ति को कानून के सामने समानता का अधिकार देता है।
  • चाइल्ड राइट्स प्रोटेक्शन एक्ट, बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में जन्मे हों।

सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट कहा है – बच्चा किसी भी हालत में कानून से वंचित नहीं हो सकता। इसलिए नाजायज संतान को शिक्षा, स्वास्थ्य, भरण-पोषण, और मूल अधिकार प्राप्त हैं।

नाजायज बच्चे के प्रॉपर्टी राइट्स (Property Rights)

भारतीय कानून में नाजायज बच्चों को माता-पिता की संपत्ति में अधिकार होता है, हालांकि कुछ मामलों में ये अधिकार सीमित हो सकते हैं।

  • माता की संपत्ति में अधिकार: नाजायज बच्चे को अपनी मां से संपत्ति का पूरा अधिकार होता है, जैसा कि किसी अन्य वैध बच्चे को मिलता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत, मां-बच्चे का संबंध मजबूत और कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त होता है।
  • पिता की संपत्ति में अधिकार: हिन्दू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 16 के तहत, नाजायज बच्चे को पिता की संपत्ति में अधिकार होता है, लेकिन यह अधिकार तभी मिलता है जब बच्चा अपने पिता के साथ कानूनी संबंध साबित कर सके। इस प्रावधान का उद्देश्य नाजायज बच्चों को उनके पिता की संपत्ति में समान अधिकार देना है।

रेवनासिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन (2011) मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि नाजायज संतान को अपने पिता की संपत्ति में अधिकार है, बशर्ते उसका जन्म एक वैध संबंध में हुआ हो और यह साबित हो कि वह उस पिता का बेटा है। 

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इस फैसले ने हिन्दू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 16 को लागू करते हुए यह भी कहा कि नाजायज बच्चों को अपने पिता की संपत्ति में संपत्ति का अधिकार प्राप्त होगा, चाहे उनकी मां और पिता का विवाह वैध न हो। 

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नाजायज बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।

सेल्फ अक्वायर्ड प्रॉपर्टी बनाम एन्सेस्ट्राल प्रॉपर्टी      

सेल्फ अक्वायर्ड प्रॉपर्टी:

  • यह संपत्ति उस व्यक्ति द्वारा अर्जित की जाती है, जो खुद कमाता है, जैसे कि उसके खुद के कार्यों से प्राप्त संपत्ति। नाजायज बच्चे को इस संपत्ति में भी अधिकार होता है।
  • नाजायज बच्चे को सेल्फ अक्वायर्ड प्रॉपर्टी में वैध बच्चों के समान ही हिस्सेदारी मिलती है, भले ही वह किसी वैवाहिक संबंध में पैदा न हुआ हो।

एन्सेस्ट्राल प्रॉपर्टी:

  • एन्सेस्ट्राल प्रॉपर्टी वह संपत्ति होती है जो किसी व्यक्ति के पूर्वजों (पिता, दादा आदि) से प्राप्त होती है।
  • हिंदू कानून में, नाजायज बच्चे को अपने पिता से एन्सेस्ट्राल प्रॉपर्टी में अधिकार नहीं होता है, जब तक कि वह यह साबित नहीं करता कि उसका पिता उस संपत्ति का मालिक था। 
  • हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि इस स्थिति में नाजायज बच्चे को पार्शियल राइट्स मिल सकता है, यदि कानूनी रूप से उसके पिता का उसके साथ संबंध स्थापित हो।

भरण-पोषण का अधिकार (Right to Maintenance)

भरण-पोषण का अधिकार, विशेष रूप से नाजायज बच्चों के लिए, भारतीय कानून में एक महत्वपूर्ण अधिकार है।  यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि बच्चे, चाहे वे नाजायज हों या वैध, माता-पिता से उचित देखभाल और समर्थन प्राप्त करें।  भरण-पोषण का अधिकार बच्चे की बुनियादी जरूरतों, जैसे भोजन, कपड़े, शिक्षा, चिकित्सा देखभाल, और रहने की जगह को पूरा करने के लिए होता है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 144 बच्चों को उनके माता-पिता से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार देती है। इस धारा के तहत, यदि माता-पिता अपने बच्चों का भरण-पोषण करने से इनकार करते हैं, तो बच्चा या उसकी मां अदालत में आवेदन कर सकती है, और कोर्ट उस व्यक्ति से भरण-पोषण की मांग कर सकती है।

  • यह धारा न केवल वैध बच्चों के लिए, बल्कि नाजायज बच्चों के लिए भी लागू होती है।
  • यदि कोई पिता अपनी नाजायज संतान को भरण-पोषण देने से मना करता है, तो वह अदालत से आदेश प्राप्त कर सकता है कि वह अपनी संतान के भरण-पोषण के लिए जिम्मेदार हो।
  • यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि बच्चों का भरण-पोषण माता-पिता की जिम्मेदारी है, और कोई भी बच्चा इसके बिना न रहे।
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नाबालिग होने तक भरण-पोषण का दावा: 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भरण-पोषण का अधिकार है, चाहे वे नाजायज हों या वैध। माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चे की देखभाल और आवश्यक संसाधन प्रदान करें।

पिता की पहचान और वैधता का विवाद

1. क्या नाजायज बच्चे को पिता की पहचान मिल सकती है?

हां, नाजायज बच्चे को अपने पिता की पहचान मिल सकती है, लेकिन इसके लिए कानूनी प्रक्रिया अपनानी होती है। 

यदि पिता पेटर्निटी स्वीकार नहीं करता, तो अदालत में डीएनए परीक्षण (DNA test) के लिए आवेदन किया जा सकता है। 

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पेटर्निटी विवाद में डीएनए परीक्षण केवल विशेष मामलों में ही आदेशित किया जा सकता है, ताकि यह किसी व्यक्ति के निजता के अधिकार का उल्लंघन न हो ।

2. जन्म प्रमाणपत्र में पिता का नाम कैसे जोड़ा जा सकता है?

यदि पिता पेटर्निटी स्वीकार करता है, तो बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र में पिता का नाम जोड़ा जा सकता है। यदि विवाद है, तो अदालत के आदेश से भी यह नाम जोड़ा जा सकता है।

मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों को बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र में पिता का नाम अनिवार्य रूप से दर्ज करने के लिए नहीं कह सकते, विशेष रूप से जब महिला ने आर्टिफिशल तरीके से संतान को जन्म दिया हो ।

नाजायज बच्चे को कौन-कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

  • नाजायज संतान को समाज में अक्सर नेग्लेक्ट और डिस्क्रिमिनेशन का सामना करना पड़ता है। स्कूलों, रिश्तेदारों और आसपास के लोग मानसिक उत्पीड़न कर सकते हैं।
  • बिना विवाह के जन्मे बच्चों को पिता की पहचान स्थापित करने में कठिनाई हो सकती है। अगर पिता स्वीकार नहीं करता, तो संपत्ति और भरण-पोषण के अधिकार में समस्या होती है।
  • कानूनी अधिकार होते हुए भी, कई बार पिता भरण-पोषण देने से इनकार कर सकते हैं, जिससे बच्चों को आर्थिक मदद मिलने में कठिनाई हो सकती है।
  • माता-पिता के बीच संबंध स्पष्ट न होने के कारण बच्चों को भावनात्मक संकट और संघर्ष का सामना करना पड़ता है।
  • समाज और शैक्षिक संस्थानों में भेदभाव के कारण शिक्षा में समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, पिता का नाम न होने से स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने में भी मुश्किल हो सकती है।
  • नाजायज संतान को एन्सेस्ट्राल प्रॉपर्टी में अधिकार होते हुए भी, कानूनी लड़ाई और समय की बर्बादी हो सकती है।
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एस. वनिता बनाम डिप्टी कमिश्नर (2020)

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया, जिसमें नाजायज संतान के उत्तराधिकार अधिकार को स्पष्ट रूप से मान्यता दी। कोर्ट ने कहा कि नाजायज संतान को मातापिता की संपत्ति में समान अधिकार होते हैं, और इससे पहले के निर्णयों के आधार पर बच्चों के अधिकारों को बढ़ावा दिया।

  • कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और अन्य समानता के अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता, और नाजायज संतान को संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए।
  • यह निर्णय नाजायज संतान के कानूनी अधिकारों को एक बड़े स्तर पर मान्यता देता है।

निष्कर्ष

नाजायज संतानें किसी भी परिस्थिति में पैदा हुई हों, उन्हें भारतीय कानून में पूर्ण अधिकार प्राप्त हैं। कानून की नजर में बच्चा मानव है, और उसे सभी मौलिक अधिकार मिलते हैं, चाहे उसका जन्म वैध या नाजायज हो। 

समाज में भेदभाव हो सकता है, लेकिन भारतीय न्याय व्यवस्था हर बच्चे को सम्मान और अधिकार देती है। यह सुनिश्चित करती है कि नाजायज बच्चे को भी समान अवसर, भरण-पोषण और संपत्ति के अधिकार प्राप्त हों, और उन्हें किसी प्रकार का भेदभाव सहना न पड़े।

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FAQs

1. क्या नाजायज बच्चा पिता की संपत्ति में अधिकार रखता है?

हाँ, लेकिन केवल पिता की स्वअर्जित संपत्ति में, ना कि पैतृक संपत्ति में। इसे कोर्ट द्वारा तय किया जाता है।

2. क्या नाजायज बच्चे का स्कूल एडमिशन रोका जा सकता है?

हीं, कानून किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव की अनुमति नहीं देता। नाजायज बच्चों को भी समान अधिकार मिलते हैं।

3. क्या जन्म प्रमाण पत्र में पिता का नाम जोड़ा जा सकता है?

हाँ, यदि कोर्ट का आदेश हो, तो नाजायज बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र में पिता का नाम जोड़ा जा सकता है।

4. क्या नाजायज संतान को गोद लिया जा सकता है?

हाँ, नाजायज संतान को कानूनी प्रक्रिया के तहत गोद लिया जा सकता है, बशर्ते सभी कानूनी औपचारिकताएँ पूरी की जाएं।

5. क्या उसे सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है?

हाँ, नाजायज संतान को भी सभी सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल सकता है, जैसे किसी भी अन्य बच्चे को मिलता है।

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