अगर पुलिस आपको गाली दे तो क्या करें?

अगर पुलिस आपको गाली दे तो क्या करें?

भारत पावरफुल लोगों, गवर्मेंट ऑफ़िसर्स और गवर्मेंट सर्वेन्ट्स से भरी एक डेमोक्रेटिक कंट्री है। जिन्हें भारत के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग गवर्नमेंट पोस्ट्स के साथ बहुत सी पावर्स दी गई हैं, लेकिन जब उस पावर को यूज़ करने की बात आती है, तो यह ज्यादातर प्रैक्टिकल और सही नहीं होता है। ऑफिसर्स द्वारा पावर्स का बेरहमी से दुरुपयोग, आमतौर पर पुलिस ऑफिसर्स द्वारा किया जाता है। यह पब्लिक और प्राइवेट प्लेसीस में भी देखा जाता है, लेकिन आम जनता आमतौर पर उनके खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं करती क्योंकि उन्हें आमतौर पर पुलिस ऑफ़िसर्स द्वारा गिरफ्तार होने या फिजिकल एब्यूज का शिकार होने का डर होता है या फिर वह अपने अधिकारों और कानून से अवेयर नहीं हैं।

एक लोअर रैंक ऑफ़िसर या पुलिस ऑफ़िसर कई तरह से अपनी पावर्स का गलत यूज़ करके किसी व्यक्ति को परेशान कर सकते है, जैसे रिश्वत देना, लॉबिंग करना, पुलिस की क्रूरता, झूठे सबूतों द्वारा पुलिस रिपोर्ट बनाना, पुलिस हरेस्मेंट, आदि।

नार्मल पब्लिक को इन सभी लॉ के बारे में पता होना चाहिए ताकि आपको पता हो कि कभी भी ऐसी सिचुएशन में पड़ने पर आपको क्या करना चाहिए:-

अगर कोई पुलिस ऑफ़िसर आपको रिश्वत देने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है या कुछ पर्सनल बेनेफिट के लिए आपको प्रभावित करने या डराने-धमकाने की कोशिश करे, तो आप उसके अगेंस्ट एक्शन ले सकते हैं। इसके लिए इंडियन पीनल कोड और प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट के सेक्शन 7 के तहत कुछ पर्टिकुलर लॉज़ बनाये गए हैं।

अगर कोई पुलिस ऑफ़िसर आपके साथ किसी भी तरह से क्रूर हो रहा है, तो यह बेसिकली आपके सिविल राइट्स का उल्लंघन करना है। जिसके लिए आप उनके कामों के अगेंस्ट लीगल एक्शन भी ले सकते है। अगर कोई ऑफ़िसर अपनी पावर्स का गलत यूज़ करता है और किसी व्यक्ति को अपनी पावर के रौब में गाली देता है, जिसकी कोई जरूरत नहीं है, तो इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 197 के तहत सेंट्रल गवर्नमेंट से परमिशन लेकर इंटरफेयर किया जा सकता है। बल्कि जरूरत पड़ने पर उस पुलिस ऑफ़िसर के अगेंस्ट के सभी किया जा सकता है।

इसे भी पढ़ें:  जानिये क्या हैं फेक न्यूज से जुड़े कानून

इसी तरह, गवाह की तरफ से झूठी गवाही देना भी पुलिस ऑफिसर्स द्वारा बहुत ही कॉमनली किया जाता है और इसे पुलिस का सबसे मेन भ्रष्टाचार माना जाता है। इसलिए, अगर आप इस तरह की किसी भी सिचुएशन को फेस कर रहे है, तो आईपीसी के सेक्शन 193 के तहत, उस व्यक्ति को जो जुडिशल प्रोसीडिंग्स में झूठे सबूत देता है, उसे 3 साल तक की जेल या जुर्माना हो सकता है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

आमतौर पर पुलिस ऑफिसर्स द्वारा नागरिकों को कुछ गलत तरीके और दुर्व्यवहार से जैसे – पूछताछ, तलाशी, जब्ती, अरेस्ट या किसी व्यक्ति पर फिजिकल पावर यूज़ करके परेशान किया जाता है। ऐसे होने पर पुलिस ऑफिसर को आईपीसी के सेक्शन 129 के तहत सज़ा दी जा सकता है।

इसलिए, अगर कोई भी पुलिस ऑफिसर आपके साथ बदतमीज़ी या दुर्व्यवहार करता है तो आपको ऐसी इन्सिडेंट्स का शिकार होने की जरूरत नहीं है। ऐसी किसी भी सिचुएशन में आप हमेशा एक लॉयर को हायर करके उनसे अपना केस फाइल करा सकते है। आप लीड इंडिया से अपने केस की सही नॉलेज और लीगल के बारे में जागरूकता ले सकते है। हम हमेशा सही के लिए लड़ने में विश्वास रखते है। और आपको भी अपने अधिकार, मौलिक कर्तव्य और आपका मौलिक अधिकारों के बारे में जानना चाहिए और इसके लिए खड़े रहना चाहिए।

Social Media