लव मैरिज के बाद रेप केस फाइल हो तो क्या करें।

लव मैरिज के बाद रेप केस फाइल हो तो क्या करें।

अपने पार्टनर के साथ बिना उसकी सहमति के सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने को रेप के रूप में जाना जाता है। यह महिलाओं की सहमति के अगेंस्ट भारत में चौथी सबसे कॉमन होने वाली क्रिमिनल एक्टिविटी है और इसे सबसे जघन्य अपराधों में से एक माना जाता है। हर साल, रेप की कोशिश करने के एक हजार से ज़्यादा केस फाइल होते हैं, हमारे इंडियन जुडीशियल लॉ सिस्टम में रेप और उसकी सजा के बारे में इंस्ट्रक्शंस देने वाले बहुत से कानून हैं। महिलाओं के साथ उनके काम या घर में सेक्सुअली हरस्मेंट अक्सर देखा जाता है। कभी-कभी महिलाओं को उनके रेपिस्ट्स द्वारा डरा-धमका कर खामोश कर दिया जाता है या फिर उनका रिकॉर्डेड मीडिया हर जगह वायरल करने की धमकी दी जाती है, जिससे वह खुद ही किसी को अपने साथ हुए अत्याचारों को बताने से पीछे हट जाती है।

रेप की तरह ही एक बहुत ज्यादा देखा जाने वाला क्राइम जिसे मैरिटल रेप कहा जाता है, वह भी इन दिनों बहुत सुर्खियों में है। मैरिटल रेप एक ऐसा सेक्सुअल रिलेशनशिप होता है जो आमतौर पर महिला के साथ उनके हस्बैंड द्वारा उनकी सहमति के बिना किया जाता है, इसे सेक्सुअल एब्यूज या डोमेस्टिक वायलेंस का एक रूप भी माना जाता है। ऐतिहासिक रूप से, एक शादी में सेक्सुअल रिलेशन्स बनाना हस्बैंड-वाइफ का अधिकार माना जाता था, लेकिन उनकी सहमति के बिना इस तरह की एक्टिविटी में शामिल होने को मैरिटल रेप के रूप में लिया जाता है। लेकिन मैरिड कपल्स के बीच रेप को एक स्पेसिफ़िक क्राइम के रूप में माना जाने के लिए, इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 375 के तहत कुछ पर्टिकुलर एक्सेप्शन है कि वाइफ की उम्र 15 साल से कम होनी चाहिए, वरना, इसे इंडियन पीनल कोड के तहत क्रिमिनल ओफ्फेंस नहीं माना जायेगा। इसके बजाय, विक्टिम को डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के तहत प्रोटेक्ट किया जाएगा।

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यह सिर्फ वाइफ के लिए कलंक या सामाजिक दबाव नहीं है बल्कि महिलाओं की भलाई के लिए सही नॉलिज होना भी बहुत जरूरी है, भारतीय समाज में रह रही वह सभी वाइफ जो इस तरह की क्रूर/क्रुएल सिचुएशन में फंसी हुई है, उन्हें पता नहीं होता कि उन्हें भी अपने हस्बैंड को ना कहने का अधिकार है और यह भी कि उनका अपने शरीर पर पूरा अधिकार है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

मैरिटल रेप एक सीरियस इशू है जिसकी जड़ों को पहचानना बहुत मुश्किल है। लेकिन भारत में, जहां ज़्यादातर सेक्सुअल वायलेंस फैमिली के अंदर ही होते है और कभी डर, कभी इज़्ज़त, तो कभी समाज की वजह से इसकी एफआईआर फाइल नहीं की जाती है।

अगर आप अपने आप को ऐसी किसी भी सिचुएशन में पाती है जहां आपके हस्बैंड बिना आपकी सहमति के आपकी साथ सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने के लिए आपको मजबूर कर रहे है तो आपको क्या करना चाहिए?

कोई भी महिला अपने पार्टनर द्वारा मेंटली या फिजिकली इस तरह के टार्चर या दुर्व्यवहार का शिकार नहीं होनी चाहिए। उन सभी महिला विक्टिम्स को जो अपने हस्बैंड के इस तरह के क्राइम की शिकार है, उन्हें हस्बैंड्स के अगेंस्ट लीगली कार्रवाई जरूर करनी चाहिए। हालांकि, इंडियन पीनल कोड के तहत हस्बैंड को अपनी वाइफ के साथ रेप करने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन सेक्शन 375 भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 और 21 का उल्लंघन है, इसलिए आईपीसी के तहत रेप लॉज़ को कई सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने वालों के लिए बचाव का रास्ता कहा जाता है। लेकिन डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के तहत सेक्सुअल वायलेंस के अगेंस्ट आरोप लगाया जा सकता है। इसलिए अगर आप अपनेआप को अपने हस्बैंड के साथ ऐसी दुखद सिचुएशन में पाती हैं, तो तुरंत सबसे अच्छे लॉयर्स की हेल्प लें, जो आपके केस में आपकी हेल्प कर सकें और आपको उचित न्याय दिला सकें।

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लीड इंडिया के पास लॉयर्स की सबसे अच्छी टीम है जो ऐसे मार्शल एब्यूजर्स का कड़ा विरोध करती है और आपके अधिकार और न्याय के लिए लड़ने में विश्वास रखती है।

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