कोर्ट मैरिज के बाद लड़की बयान बदल दे तो क्या करें? – पूरी कानूनी गाइड

What to do if the girl changes her statement after court marriage – Complete legal guide

स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 भारत में ऐसे लोगों को विवाह करने का अधिकार देता है जो अलग-अलग धर्म, जाति या पृष्ठभूमि से आते हैं और बिना किसी धार्मिक रिवाज़ के शादी करना चाहते हैं। परंतु यदि कोर्ट मैरिज के बाद लड़की अपना बयान बदल देती है – यानी विवाह से इनकार करती है या झूठे आरोप लगाती है – तो यह स्थिति पुरुष के लिए मानसिक, सामाजिक और कानूनी रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए, कौन-कौन से कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं और सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में क्या गाइडलाइंस दी हैं।

कोर्ट मैरिज के बाद लड़की बयान क्यों बदलती है?

ऐसी स्थिति के पीछे कई व्यक्तिगत या सामाजिक कारण हो सकते हैं, जैसे:

  • पारिवारिक दबाव या सामाजिक बदनामी का डर
  • भावनात्मक या मानसिक तनाव में आकर निर्णय बदलना
  • शादी के तुरंत बाद वैचारिक या व्यक्तिगत मतभेद
  • जानबूझकर धोखाधड़ी या झूठे आरोप लगाने की मंशा
  • किसी अन्य रिश्ते को छिपाना और शादी के बाद उजागर होना

इनमें से कई कारण दुर्भावनापूर्ण नहीं होते, लेकिन अगर आरोप झूठे हों तो पुरुष को कानूनी रूप से बचाव का पूरा हक है।

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कोर्ट मैरिज के बाद की कानूनी स्थिति

क्या शादी कानूनी रूप से मान्य मानी जाएगी?

यदि शादी स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत हुई है, और दोनों पक्षों ने रजिस्ट्रार के समक्ष हस्ताक्षर कर प्रमाणपत्र प्राप्त किया है, तो यह शादी कानूनन वैध मानी जाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने  सीमा बनाम अश्विनी कुमार (2006) में कहा कि विवाह का पंजीकरण केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह विवाह की वैधता को प्रमाणित करता है और पति-पत्नी दोनों के कानूनी अधिकारों की रक्षा करता है। कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया था कि सभी विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य होना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचा जा सके।

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क्या लड़की का बयान बदलना शादी को अमान्य बनाता है?

नहीं। शादी के बाद अगर लड़की यह कहती है कि उसने दबाव में शादी की या अब वह इस रिश्ते को नहीं मानती, तब भी वह शादी स्वतः रद्द नहीं होती।

शादी को समाप्त करने के लिए आवश्यक है:

  • तलाक की प्रक्रिया अपनाई जाए, या
  • यदि धोखा हुआ है, तो विवाह को रद्द (Annul) करवाने की याचिका दायर की जाए।

क्या शादी को रद्द किया जा सकता है?

हाँ, परन्तु केवल कुछ विशिष्ट कानूनी आधारों पर:

स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 25 के तहत शादी को रद्द करने के आधार:

  • विवाह करते समय किसी पक्ष की मानसिक अस्वस्थता
  • सहमति दबाव या धोखे से ली गई हो
  • पति या पत्नी पहले से विवाहित हों
  • किसी पक्ष की वैवाहिक उम्र पूरी न होना
  • छिपी हुई बीमारी (जैसे नपुंसकता)

यदि इनमें से कोई भी आधार मौजूद है, तो शादी को शून्य योग्य (Voidable) घोषित किया जा सकता है।

यदि लड़की झूठा आरोप लगाती है तो क्या करें?

कुछ मामलों में लड़की शादी के बाद बयान बदलकर आरोप लगा सकती है कि:

  • शादी जबरदस्ती करवाई गई
  • फर्जी दस्तावेज़ों से धोखा दिया गया
  • मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न हुआ

यदि ये आरोप झूठे हैं, तो पुरुष के पास निम्न कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं:

BNSS की धारा 379 के तहत याचिका दाखिल करें:

यह धारा झूठे हलफनामे या गवाहियों के खिलाफ न्यायालय में कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देती है।

BNS की धारा 217 और 248 के तहत शिकायत दर्ज कराएं:

  • IPC 182: पुलिस को झूठी सूचना देना
  • IPC 211: झूठा आरोप लगाकर दंडनीय अपराध का दावा करना
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मानहानि का केस BNS 356:

अगर लड़की के बयान से सामाजिक या व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है तो मानहानि का केस दायर किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइंस और केस लॉ

दीपक गुलाटी बनाम हरियाणा राज्य (2013)

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि यदि कोई लड़की अपनी इच्छा से किसी रिश्ते या विवाह में शामिल होती है और बाद में उनके बीच संबंध बिगड़ जाते हैं, तो इसे बलात्कार या धोखा नहीं माना जा सकता। आपसी सहमति से बने संबंधों को कानूनी दुरुपयोग से अलग माना जाना चाहिए।

प्रीति कुमारी बनाम बिहार राज्य (2020)

कोर्ट ने इस फैसले में स्पष्ट किया कि यदि विवाह विधिवत पंजीकृत है, तो बाद में उस पर झूठे आरोप लगाकर उसे अमान्य नहीं ठहराया जा सकता। बिना ठोस प्रमाणों के ऐसे आरोप केवल कानून का दुरुपयोग माने जाएंगे।

के. प्रेमा एस. राव बनाम यादवला श्रीनिवास राव (2003)

इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यदि कोई पक्ष जानबूझकर झूठे आपराधिक मामले दर्ज करता है, तो दूसरा पक्ष भारतीय दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत कानूनी संरक्षण और राहत का हकदार है। झूठे आरोपों से निपटने के लिए कानून में पर्याप्त प्रावधान हैं।

कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया – संक्षेप में

चरणविवरण
1. नोटिस ऑफ इंटेंशनमैरिज ऑफिसर को आवेदन देना
2. 30 दिन की प्रतीक्षा अवधिकोई आपत्ति न आने पर आगे की प्रक्रिया
3. विवाह का solemnizationगवाहों की उपस्थिति में विवाह
4. रजिस्ट्रेशनमैरिज सर्टिफिकेट जारी

कोर्ट मैरिज के बाद लड़की बयान बदल दे तो क्या करें? 

कानूनी सलाह लें:

हर केस अलग होता है, इसलिए विशेषज्ञ वकील से परामर्श लें जो मैरिज लॉ और आपराधिक प्रक्रिया दोनों समझता हो।

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साक्ष्य सुरक्षित रखें:

  • मैरिज सर्टिफिकेट
  • शादी की तस्वीरें/वीडियो
  • चैट्स, कॉल रिकॉर्ड
  • गवाहों के बयान

FIR का विरोध करें या anticipatory bail लें:

यदि लड़की FIR दर्ज करती है, तो आप अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने Arnesh Kumar v. State of Bihar (2014) में झूठे घरेलू हिंसा मामलों में गिरफ्तारी से पहले जांच को आवश्यक माना।

मानहानि और झूठी शिकायत पर प्रतिवाद करें:

अगर स्पष्ट रूप से झूठा आरोप लगाया गया है, तो IPC की धाराओं और CrPC 340 के तहत कानूनी प्रतिवाद करना आपके अधिकार में है।

निष्कर्ष 

कोर्ट मैरिज एक वैधानिक और मजबूत कानूनी प्रक्रिया है जिसे केवल झूठे आरोपों से निष्प्रभावी नहीं किया जा सकता। यदि लड़की विवाह के बाद बयान बदलती है या झूठे आरोप लगाती है, तो पुरुष के पास पर्याप्त कानूनी उपाय उपलब्ध हैं।

न्याय तब होता है जब निर्दोष को गलत तरीके से सजा नहीं मिलती। भारत के सुप्रीम कोर्ट का सिद्धांत

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FAQs

1. क्या लड़की शादी के बाद इनकार कर सकती है?

उत्तर: नहीं, यदि शादी कानूनी रूप से रजिस्टर्ड है तो सिर्फ इनकार से विवाह रद्द नहीं होता।

2. क्या शादी को बिना तलाक के अमान्य घोषित किया जा सकता है?

उत्तर: नहीं, जब तक धोखा, दबाव या वैधानिक आधार न हो, शादी वैध मानी जाती है।

3. अगर FIR हो जाए तो क्या तुरंत गिरफ्तारी हो सकती है?

उत्तर: नहीं, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार गिरफ्तारी से पहले जांच आवश्यक है। आप अग्रिम जमानत ले सकते हैं।

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