लीगल नोटिस भेजने से पहले क्या ध्यान रखें?

लीगल नोटिस भेजने से पहले क्या ध्यान रखें?

कानूनी दस्तावेज बहुत जरूरी होते हैं और इसमें अलग-अलग नाजुक पेचीदगियां शामिल होती हैं। कानूनी नोटिस एक दस्तावेज है जो एक व्यक्ति वकील के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति या कंपनी को भिजवाता है।

कानूनी नोटिस क्या है?

इस लीगल नोटिस में विरोधी पार्टी को इस बारे में सूचित किया जाता है कि नोटिस भेजने वाली पार्टी अपनी शिकायतों और परेशानियों के लिए उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करने वाली है और यही बताने के लिए यह नोटिस भेजा जा रहा है। 

भारत में एक पार्टी के वकील द्वारा दूसरी पार्टी को कानूनी नोटिस भेजने को कानूनी कार्यवाही की तरफ उठाया जाने वाला पहला कदम माना जाता है। भारत में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों द्वारा अक्सर यह माना और कहा जाता है कि कानूनी नोटिस भारत में लगभग हर कानूनी कार्रवाई का आधार बनाता है।

कानूनी नोटिस भेजने का अधिकार किसे है?

आम नागरिक ज्यादातर यह सवाल करते है कि कानूनी नोटिस कब भेजा जा सकता है या इसे कौन भेज सकता है। तो इस बात का सीधा जवाब यह है कि हर वो  व्यक्ति जिसके अधिकार का किसी अन्य व्यक्ति या कंपनी द्वारा उल्लंघन किया गया है तो वह कानूनी नोटिस भेज सकता है। कानूनी नोटिस केवल दूसरी पार्टी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के इरादे की एक सूचना देने वाला डॉक्यूमेंट है।

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कानूनी नोटिस में क्या लिखा जाता है?

पार्टियों के नाम 

कानूनी नोटिस में दोनों पार्टियों मतलब जो नोटिस भेज रहा है और जिसको भेज रहा है उन दोनों के नाम और अड्रेस लिखना जरूरी होता है।

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फैक्ट्स और शिकायतें 

कानूनी नोटिस के अंदर मैटर से संबंधित सभी फैक्ट्स और कानूनी नोटिस भेजने वाले की शिकायतें स्पष्ट रूप से लिखी होती हैं।

मुआवजा

फैक्ट्स के अनुसार अगर नोटिस भेजने वाले व्यक्ति किसी प्रकार की असुविधा हुई है तो वह व्यक्ति मुआवजे की एक निश्चित राशि का दावा कर सकता है। कभी-कभी कानूनी नोटिस में विवाद को सुलझाने के लिए कुछ तरीकों को बताया जाता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि नोटिस में जिन कानूनों के तहत मुआवजे का दावा किया गया है, उन सभी कानूनों का उल्लेख नोटिस में किया जाना चाहिए।

साइन 

क्लाइंट की तरफ से कानूनी नोटिस भेजने वाले वकील के साईन और मोहर लगाई जानी जरूरी होती है। 

किन केसिस में कानूनी नोटिस भेजा जाता है? 

यह ध्यान रखना जरूरी है कि कानूनी नोटिस केवल सिविल केस के मामलों में भेजा जाता है आपराधिक मामलों में नहीं। सिविल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 80 के तहत कानूनी नोटिस भेजा जाता है। ज्यादातर इन सभी निम्नलिखित मामलों में कानूनी नोटिस भेजा जाता है।

  1. प्रॉपर्टी से संबंधित विवाद 
  2. नियोक्ता (employer) द्वारा नोटिस
  3. कर्मचारी द्वारा नोटिस
  4. चेक बाउंस के लिए नोटिस 
  5. कसी भी पार्टी द्वारा कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन करने पर नोटिस 
  6. उपभोक्ता शिकायतें (consumer complaints)
  7. अपने पैसे को वापस लेने के लिए डिफॉलटर को नोटिस 

उपरोक्त सभी मामलों के लिए कानूनी सूचना प्रारूप समान है। नोटिस ज्यादातर एक पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजा जाता है, लेकिन इसे व्यक्तिगत रूप से भी भेजा जा सकता है। आजकल ऑनलाइन मोड के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजने का चलन भी देखा जा रहा है। हालाँकि, इसका वही प्रभाव होता है जो डाक के माध्यम से भेजे गए नोटिस या व्यक्तिगत रूप से वितरित किए जाने पर होता है। कानूनी नोटिस का मूल उद्देश्य विपरीत पक्ष को कानूनी कार्रवाई करने के इरादे के बारे में सूचित करना है।

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दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ वकीलों ने मामले के सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और अपने मुवक्किल के दावे का निर्माण करने के लिए एक कानूनी नोटिस का मसौदा तैयार किया। कानूनी नोटिस पहली बार मुवक्किल की शिकायतों का दस्तावेजीकरण करने का आधार है और अदालत के समक्ष जो याचिका प्रस्तुत की जाती है वह ज्यादातर नोटिस में उल्लिखित बातों पर आधारित होती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसने मामले का ढांचा तैयार किया है।

भारतीय में सबसे अच्छे वकील अक्सर मानते हैं कि कानूनी नोटिस एक अत्यधिक आवश्यक कानूनी दस्तावेज है क्योंकि यह दोनों पक्षों के समय की बचत करने वाले न्यायालयों से परे विवादों को सुलझाने और सुलझाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

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