आज के समय में कई महिलाएं ऐसे मामलों में फंस जाती हैं जहाँ पुरुष उनसे शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाते हैं और फिर पीछे हट जाते हैं। यह केवल भावनात्मक चोट नहीं है, बल्कि भारतीय कानून के अनुसार एक दंडनीय अपराध है।
- इससे पीड़ित महिला के आत्म-सम्मान, मानसिक स्थिति और सामाजिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है।
- कानून इस विषय को गंभीर मानता है क्योंकि इसमें न सिर्फ किसी की भावनाओं से खेला गया है, बल्कि उसके शरीर और आत्मसम्मान के साथ भी विश्वासघात हुआ है।
शादी का झांसा क्या है – कानून की नजर में इसकी परिभाषा
- शादी का झांसा तब माना जाता है जब कोई व्यक्ति यह जानते हुए कि वह शादी नहीं करेगा, झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बना लेता है।
- अगर कोई पुरुष जानबूझकर महिला को यह झूठा यकीन दिलाता है कि वह उससे शादी करेगा और फिर संबंध बनाता है, तो यह बलात्कार के दायरे में आ सकता है। पर हर ऐसा वादा बलात्कार नहीं होता, फर्क सहमति और धोखे में होता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि अगर शादी का वादा सिर्फ धोखा देने के इरादे से किया गया था, तो वह रेप माना जाएगा।
भारतीय न्याय संहिता की कौन सी धाराएं लागू होती है?
- धारा 64 (बलात्कार): यदि किसी व्यक्ति ने शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाए, तो यह बलात्कार माना जाएगा। इस धारा के तहत आरोपी को कम से कम दस साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास हो सकती है।
- धारा 318 (धोखाधड़ी): यदि कोई व्यक्ति धोखे से किसी से साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाता है तो यह धोखाधड़ी माना जाता है। इसके लिए आरोपी को तीन साल तक की सजा या जुर्माना हो सकता है।
- धारा 81 (झूठे विवाह का विश्वास दिलाकर शारीरिक संबंध बनाना): यदि कोई पुरुष महिला को यह विश्वास दिलाकर शारीरिक संबंध बनाता है कि वह उसकी पत्नी है, जबकि वह वैध रूप से शादीशुदा नहीं है, तो यह अपराध है। इसके लिए 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
- धारा 28 (झूठी सहमति): यदि किसी व्यक्ति ने डर या गलत जानकारी के आधार पर सहमति दी है, तो वह सहमति वैध नहीं मानी जाएगी। ऐसे मामले में आरोपी को सजा मिल सकती है।
कोर्ट का नजरिया क्या हर झूठा वादा केस बनाता है?
भारतीय न्यायालयों ने यह स्पष्ट किया है कि केवल शादी के वादे का टूटना बलात्कार का आधार नहीं बनता। बलात्कार का मामला तभी बनता है जब यह साबित हो कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति पूरी तरह से झूठे वादे पर आधारित थी।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के प्रमुख निर्णय
- प्रमोद सूर्यभान पवार बनाम महाराष्ट्र राज्य (2019) के मामले में छत्तीसगढ़ के एक सरकारी डॉक्टर ने महिला से शादी का झूठा वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। वह पहले से ही किसी और से सगाई कर चुका था। महिला की सहमति इस झूठे वादे पर आधारित थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट ने उसे बलात्कार माना। डॉक्टर को दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुनाई गई।
- अजीत सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2024) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर रद्द की, जिसमें महिला ने शादी के झूठे वादे पर बलात्कार का आरोप लगाया था। कोर्ट ने कहा कि दोनों के बीच संबंध सहमति से थे और शादी में बदल गए, इसलिए आरोप झूठे वादे पर बलात्कार का मामला नहीं बनता। महिला की सहमति झूठे वादे पर नहीं, बल्कि वास्तविक शादी की मंशा पर आधारित थी। इसलिए, कोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी।
- कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अखिल थॉमस बनाम कर्नाटक राज्य, 2024 मामले में एफआईआर रद्द की, जिसमें एक महिला ने डेटिंग ऐप पर खुद को तलाकशुदा बताया था, जबकि वह पहले से शादीशुदा थी। महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाए। कोर्ट ने कहा कि शादीशुदा महिला से शादी का वादा नहीं किया जा सकता, और यह मामला बलात्कार का नहीं बनता। कोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी।
जानबूझकर झूठा वादा और रिलेशन में बदलाव में फर्क
- जानबूझकर झूठा वादा: यदि आरोपी ने जानबूझकर शादी का झूठा वादा किया और महिला की सहमति उसी पर आधारित थी, तो यह बलात्कार माना जाएगा।
- रिलेशन में बदलाव: यदि संबंध में बदलाव हुआ है या वादा पूरा नहीं हो पाया, तो यह बलात्कार का मामला नहीं बनता।
शादी की मंशा थी या नहीं: कैसे साबित होता है?
महिला की सहमति और आरोपी के इरादों का विश्लेषण करके यह साबित किया जाता है। यदि यह साबित हो कि शुरू से ही महिला की सहमति झूठे वादे पर आधारित थी, तो बलात्कार का मामला बनता है।
शिकायत दर्ज कैसे करें?
1. स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराएं:
- एफआईआर (FIR) दर्ज करने के लिए संबंधित पुलिस थाने में जाएं।
- शिकायत पत्र लिखें या मौखिक रूप से जानकारी दें।
- शिकायत की प्रति प्राप्त करें और एफआईआर संख्या नोट करें।
2. एफआईआर दर्ज न हो तो क्या करें?
- यदि पुलिस एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करती है, तो जिला पुलिस अधीक्षक (SP) को लिखित शिकायत भेजे।
- यदि पुलिस कार्रवाई नहीं करती, तो संबंधित मजिस्ट्रेट कोर्ट में आवेदन करें। कोर्ट पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे सकती है।
3. ऑनलाइन शिकायत कैसे करें:
कई राज्यों में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध है।
- दिल्ली पुलिस: delhipolice.nic.in
- उत्तर प्रदेश पुलिस: uppolice.gov.in
- महाराष्ट्र पुलिस: citizen.mahapolice.gov.in
- तमिलनाडु पुलिस: eservices.tnpolice.gov.in
- झारखंड पुलिस: jofs.jhpolice.gov.in
- कोलकाता पुलिस: kolkatapolice.gov.in
4. महिला आयोग में शिकायत
अगर पुलिस आपकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं कर रही है, तो आप राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) या राज्य महिला आयोग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकती हैं।
सबूत और दस्तावेज को तैयार रखें?
- व्हाट्सएप, मैसेज, चैट, कॉल रिकॉर्ड: सभी महत्वपूर्ण व्हाट्सएप चैट, मैसेज और कॉल रिकॉर्ड्स को संभालकर रखें, क्योंकि ये साक्ष्य के रूप में महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
- साथ की तस्वीरें, वीडियो: संबंधित घटनाओं या घटनास्थल की स्पष्ट तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड करें, ये आपके केस को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं।
- गवाह (दोस्त या परिवार): जो लोग घटना के गवाह रहे हों, उनके बयान रिकॉर्ड करें, क्योंकि उनकी गवाही से आपके मामले को समर्थन मिलेगा।
- मेडिकल जांच और कोर्ट में दिया गया बयान: मेडिकल जांच रिपोर्ट और भारतीय नगरिक सुरक्षा संहिता की धारा 183 के तहत दिए गए बयान का सही रिकॉर्ड रखें, जो कानूनी प्रक्रिया में मदद करेगा।
शादी का वादा निभा कर भी संबंध टूटे तो?
यदि किसी जोड़े ने शादी का वादा किया और बाद में संबंध टूट गए, तो यह स्वतः बलात्कार या धोखाधड़ी का मामला नहीं बनता। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि शुरू से ही महिला की सहमति झूठे वादे पर आधारित थी, तो बलात्कार का मामला बनता है। लेकिन यदि दोनों ने सहमति से संबंध बनाए और बाद में रिश्ता टूट गया, तो इसे बलात्कार नहीं माना जाएगा। उदाहरण के लिए, एक मामले में अदालत ने कहा कि विवाह के बाद संबंध बनाना बलात्कार का मामला नहीं बनता, जब तक यह साबित न हो कि शुरू से ही झूठा वादा किया गया था।
इसलिए, यदि विवाह का वादा किया गया था और बाद में संबंध टूट गए, तो यह बलात्कार का मामला नहीं बनता, जब तक यह साबित न हो कि शुरू से ही झूठा वादा किया गया था। हर मामले की परिस्थितियाँ अलग होती हैं, और कानूनी सलाह के लिए एक योग्य वकील से संपर्क करना उचित होगा।
निष्कर्ष
अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता और सही कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। कानून आपके साथ है, बस आपको सही जानकारी और साहस की आवश्यकता है। समाज के डर से चुप रहना आपके लिए और दूसरों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाएं, क्योंकि यह न केवल आपकी सुरक्षा के लिए, बल्कि समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या शादी का झांसा देना हमेशा बलात्कार माना जाएगा?
नहीं, केवल तभी जब साबित हो कि वादा झूठा था और सिर्फ संबंध बनाने के लिए किया गया था।
2. अगर रिश्ते के दौरान सहमति थी, तो केस बनता है क्या?
अगर सहमति धोखे पर आधारित थी, तो केस बन सकता है।
3. क्या कोर्ट सिर्फ लड़की की बात मान लेता है?
नहीं, कोर्ट दोनों पक्षों की बात और सबूतों को देखकर फैसला करता है।
4. FIR कैसे लिखवाएं अगर पुलिस मना कर दे?
SP को शिकायत करें या सीधे मजिस्ट्रेट के पास अर्जी दें।
5. अगर आरोपी शादी कर ले तो केस खत्म हो जाता है क्या?
शादी के बाद केस वापस लेने का विकल्प होता है, लेकिन यह पूरी तरह कोर्ट पर निर्भर करता है।