नाबालिग अपराधी के रूप में आपके बच्चे को क्या कानूनी सहायता मिल सकती है?

What legal help can your child get as a minor offender

जब कोई नाबालिग (18 साल से कम उम्र का बच्चा) कानून के मामले में फंसता है, तो यह समय बच्चे और उसके परिवार के लिए डरावना और उलझन भरा हो सकता है। वयस्कों के मुकाबले, नाबालिगों के साथ कानूनी सिस्टम में अलग तरीके से व्यवहार किया जाता है। इसका कारण यह है कि यहां सजा देने से ज्यादा सुधार पर ध्यान दिया जाता है। हालांकि, नाबालिगों से जुड़ी कानूनों को समझना जरूरी है, क्योंकि यह बहुत जटिल हो सकते हैं, और सही नतीजा पाने के लिए कानूनी प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण है।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम नाबालिग अपराधियों के लिए उपलब्ध कानूनी मदद, कानूनी प्रक्रिया के दौरान उनके अधिकारों और उनके लिए उपलब्ध अलग-अलग रास्तों के बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही, हम यह भी बताएंगे कि माता-पिता और अभिभावक इस कठिन समय में अपने बच्चे की मदद कैसे कर सकते हैं।

नाबालिग अपराधी कौन है?

नाबालिग अपराधी उस बच्चे को कहा जाता है जो 18 साल से कम उम्र का हो और जिसने कोई अपराध किया हो। नाबालिग अपराध छोटे अपराधों से लेकर जैसे कि गड़बड़ी करना या दुकान से सामान चुराना, से लेकर बड़े अपराधों जैसे हमला करना या ड्रग्स रखना तक हो सकते हैं। जब नाबालिग अपराधियों के मामले की बात आती है, तो कानूनी सिस्टम का मुख्य उद्देश्य सजा देना नहीं, बल्कि सुधार करना होता है, क्योंकि नाबालिगों को वयस्कों से ज्यादा बदलने की क्षमता मानी जाती है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

जुवेनाइल जस्टिस (JJ) एक्ट 2015

जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन) एक्ट, 2015 जिसे JJ एक्ट कहा जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण कानून है जो अपराध करने वाले बच्चों  के साथ के व्यवहार को नियंत्रित करता है। इस एक्ट का उद्देश्य न्याय के लिए बच्चों के अनुकूल दृष्टिकोण प्रदान करना है, जो सजा देने के बजाय सुधार और पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करता है। यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि जो नाबालिग अपराधों का आरोपित होते हैं, उन्हें इस तरीके से निपटाया जाए जो उनके सुधार और व्यक्तिगत विकास की संभावना को पहचानता है।

JJ एक्ट  के तहत, कानून से संघर्ष करने वाले बच्चों को दो समूहों में बांटा गया है:

  • कानून से संघर्ष करने वाले बच्चे – वे नाबालिग जिन्होंने अपराध किए हैं।
  • देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे – वे बच्चे जो त्याग दिए गए हैं या जो दुर्व्यवहार का सामना कर रहे हैं।

यह एक्ट जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJBs) की स्थापना को प्राथमिकता देता है, जो नाबालिग अपराधियों के मामलों को संभालने वाली विशेष समितियां हैं। इस बोर्ड में विशेषज्ञ जैसे समाजसेवी, मनोवैज्ञानिक और कानूनी पेशेवर होते हैं, जो नाबालिग के सुधार में एक समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करते हैं।

JJ  एक्ट  विभिन्न सुधारात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से मामलों को डाइवर्ट करने का प्रावधान करता है, जिसमें काउंसलिंग, शिक्षा और सामुदायिक सेवा शामिल हैं। अगर नाबालिग दोषी पाया जाता है, तो उसे सुधार के लिए नाबालिग गृह में भेजा जाता है, न कि जेल में, ताकि उसका सुधार हो सके और वह समाज में पुनः समाहित हो सके।

संक्षेप में, JJ एक्ट  यह सुनिश्चित करता है कि नाबालिगों को बच्चों के अनुकूल तरीके से न्याय मिले, जो उनके विकास और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करता है।

नाबालिग अपराधियों के कानूनी अधिकार क्या हैं?

नाबालिगों को अपराध न्याय प्रक्रिया के दौरान कुछ कानूनी अधिकार मिलते हैं, और यह समझना जरूरी है कि इन अधिकारों को बच्चे और उनके परिवार दोनों को जानना चाहिए। यहां नाबालिगों के कुछ मुख्य अधिकार दिए गए हैं जब वे कानूनी प्रक्रिया में शामिल होते हैं:

  • वकील का अधिकार: हर नाबालिग जिसे अपराध का आरोप लगता है, उसे वकील की मदद लेने का अधिकार होता है। एक वकील जो नाबालिगों के मामलों में विशेषज्ञ हो, बच्चे के अधिकारों की रक्षा कर सकता है, कानूनी सलाह दे सकता है, और अदालत में उनका प्रतिनिधित्व कर सकता है। यह वकील यह सुनिश्चित करेगा कि नाबालिग को एक निष्पक्ष ट्रायल मिले और सजा उनके भले के लिए हो।
  • चुप रहने का अधिकार: वयस्कों की तरह, नाबालिगों को पुलिस या जांचकर्ताओं द्वारा पूछताछ किए जाने पर चुप रहने का अधिकार होता है। जो कुछ भी कहा जाता है, वह अदालत में उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है, इसलिए नाबालिगों को यह सलाह दी जाती है कि वे किसी वकील से बात करने के बाद ही पुलिस से सवालों का जवाब दें।
  • निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार: नाबालिगों को एक निष्पक्ष और सार्वजनिक ट्रायल का अधिकार होता है, जिसमें सबूत पेश किए जाएंगे और नाबालिग को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। अगर मामला अदालत तक जाता है, तो नाबालिग को अपनी बात समझाने का अवसर मिलेगा और जज या जूरी मामले का निर्णय करेंगे।
  • सम्मान और गरिमा के साथ बर्ताव का अधिकार: नाबालिग न्याय प्रणाली इस तरह से बनाई गई है कि नाबालिगों को उनके सुधार की क्षमता को ध्यान में रखते हुए संभाला जाए। इसका मतलब यह है कि नाबालिगों को आमतौर पर कठोर सजा से बचाया जाता है, जो वयस्कों के मामलों में होती है, जैसे कि लंबी जेल की सजा।
इसे भी पढ़ें:  पड़ोसी परेशान करे तो क्या कानूनी कार्रवाई करें?

नाबालिगों को क्या कानूनी सहायता मिल सकती है?

  • फ्री लीगल ऐड: जैसे ही किसी नाबालिग पर अपराध का आरोप लगता है, माता-पिता को फ्री लीगल ऐड के तहत  जुवेनाइल केस के एक्सपर्ट वकील की मदद के तहत मिलती है जो केस को अच्छे से समझयेगा और कैसे केस को जीता जाये इस पे  भी प्रकाश डालेगा और बच्चे के लिए सबसे अच्छा परिणाम पाने की कोशिश करेगा। 
  • डाइवर्जन प्रोग्राम: डाइवर्जन प्रोग्राम पारंपरिक नाबालिग न्याय प्रक्रिया का एक विकल्प होते हैं, जिनका उद्देश्य नाबालिगों को कोर्ट सिस्टम से दूर रखना होता है। इन प्रोग्रामों में काउंसलिंग, शिक्षा, सामुदायिक सेवा, या अन्य सुधारात्मक उपाय शामिल हो सकते हैं। इसका उद्देश्य भविष्य में अपराध से बचना और नाबालिग को सही रास्ते पर लाना है। कई मामलों में, जो नाबालिग डाइवर्जन प्रोग्राम को सफलतापूर्वक पूरा करते हैं, वे आपराधिक रिकॉर्ड से बच सकते हैं।
  • परोबेशन (नियमित निगरानी): अगर किसी नाबालिग को अपराध का दोषी पाया जाता है, तो जज उसे जेल की सजा देने के बजाय परोबेशन (नियमित निगरानी) दे सकता है। परोबेशन का मतलब है कि नाबालिग को कुछ नियमों का पालन करना होगा और नियमित रूप से परोबेशन अधिकारी से मिलना होगा। परोबेशन अक्सर अन्य सुधारात्मक उपायों के साथ होता है, जैसे कि थैरेपी या शैक्षिक कार्यक्रम, जो नाबालिग को समाज में फिर से शामिल होने में मदद करते हैं।
  • काउंसलिंग और थैरेपी: कई नाबालिग अपराधियों ने जीवन में ऐसे मुद्दे जैसे आघात, नशे की लत, या पारिवारिक समस्याओं का सामना किया होता है, जो उनके अपराधी व्यवहार का कारण बन सकते हैं। नाबालिगों के लिए कानूनी मदद अक्सर इन समस्याओं को सुलझाने के लिए काउंसलिंग या थैरेपी के लिए संदर्भ प्रदान करती है। उपचार कार्यक्रम सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और अपराध फिर से करने की संभावना को कम कर सकते हैं।
  • परिवार का समर्थन और शिक्षा: कुछ मामलों में, कानूनी पेशेवर नाबालिग अपराधी के परिवार के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि वे प्रक्रिया को समझ सकें और नाबालिग की मदद कर सकें। माता-पिता को मीटिंग्स, काउंसलिंग सत्रों या कार्यक्रमों में भाग लेने की आवश्यकता हो सकती है, जो उन्हें यह सिखाते हैं कि अपने बच्चे को अपराधी व्यवहार से उबरने में कैसे मदद करें।

यदि आपका बच्चा आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा है तो क्या कदम उठाएँ?

  • जुवेनाइल केस के एक्सपर्ट वकील से तुरंत संपर्क करें: अगर आपके बच्चे पर अपराध का आरोप लगता है, तो पहला कदम एक वकील से परामर्श लेना चाहिए जो नाबालिग मामलों में विशेषज्ञ हो। वकील आरोपों को समझाने, कानूनी सलाह देने और आपके बच्चे का अदालत में प्रतिनिधित्व करने में मदद कर सकता है।
  • बिना वकील के पुलिस से बात न करें: आपके बच्चे को चुप रहने का अधिकार है और उसे बिना वकील के पुलिस या जांचकर्ताओं के सवालों का जवाब नहीं देना चाहिए। जो कुछ भी सवालों के दौरान कहा जाता है, वह बाद में अदालत में उनके खिलाफ इस्तेमाल हो सकता है।
  • अदालत की सुनवाई में भाग लें: कई मामलों में, नाबालिग अदालत प्रक्रिया में जज के सामने कई सुनवाई हो सकती हैं। माता-पिता या अभिभावक के रूप में, आपको इन सुनवाईयों में उपस्थित होना चाहिए ताकि आप अपने बच्चे का समर्थन कर सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि उनके अधिकारों का सम्मान किया जा रहा है। यह भी महत्वपूर्ण है कि आप संभावित परिणामों को समझें और क्या उम्मीद की जा सकती है।
  • डाइवर्जन और वैकल्पिक कार्यक्रमों पर विचार करें: अगर आपके बच्चे ने पहली बार कोई अपराध किया है या हल्का अपराध किया है, तो डाइवर्जन प्रोग्राम एक विकल्प हो सकते हैं। इन विकल्पों को खोजने के लिए रक्षा वकील के साथ काम करें, जो आपके बच्चे के लिए बेहतर परिणाम ला सकते हैं और आपराधिक रिकॉर्ड से बच सकते हैं।
  • सुधार पर ध्यान दें: याद रखें कि नाबालिग न्याय प्रणाली का उद्देश्य नाबालिगों को सजा देना नहीं, बल्कि उन्हें सुधारना है। अपने बच्चे को किसी भी सुधार कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें, जैसे कि काउंसलिंग या सामुदायिक सेवा, क्योंकि ये उन्हें सही रास्ते पर रहने में मदद कर सकते हैं।
इसे भी पढ़ें:  क्या कोर्ट मैरिज कपल को कानूनी सुरक्षा देता है?

राहुल कुमार यादव बनाम राज्य बिहार, 2024 के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि नाबालिग होने का दावा किसी भी चरण में किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस (JJ) एक्ट की धारा 9(2) के तहत, अगर किसी आरोपी ने मुकदमे के दौरान नाबालिग होने का दावा किया, तो कोर्ट को चिकित्सा साक्ष्यों के आधार पर आरोपी की उम्र की जांच करनी होगी, ताकि यह पता चल सके कि अपराध के समय उनकी उम्र क्या थी।

नाबालिग के मामलों में न्याय की प्रक्रिया क्या होती है?

नाबालिगों के मामलों में यह सुनिश्चित किया जाता है कि उन्हें न्याय प्रक्रिया के दौरान समान अवसर और सुरक्षा मिलें। यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चों को किसी भी तरह की कठोर सजा का सामना न करना पड़े और उनकी भावनात्मक, मानसिक, और शारीरिक भलाई की रक्षा की जाए।

किशोर न्याय बोर्ड नाबालिगों के मामलों में फैसला लेते समय यह समझने की कोशिश करता है कि उस बच्चें का अपराध करना किसी मानसिक या पारिवारिक समस्या का परिणाम हो सकता है। इसलिए, पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य न केवल उसे सजा देना बल्कि उसे सुधारने और समाज में वापस एक स्वस्थ नागरिक बनाने का होता है।

मई 2024 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सी.सी.एल. बनाम कर्नाटक राज्य मामले में नाबालिग न्याय अधिनियम को मजबूत किया। कोर्ट ने 16 से 18 साल के नाबालिगों के लिए गंभीर अपराधों में एक प्रारंभिक मूल्यांकन जरूरी किया, जिसमें उनके मानसिक और शारीरिक विकास की जांच की जाएगी। इस मूल्यांकन के आधार पर यह तय किया जाएगा कि उन्हें वयस्कों की तरह न्याय किया जाए या नाबालिगों के तौर पर।

क्या नाबालिग को जमानत का अधिकार है?

हां, नाबालिग को जमानत का अधिकार है, लेकिन इसके लिए कुछ विशेष शर्तें और प्रक्रियाएं होती हैं, जो जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 के तहत लागू होती हैं। यहां नाबालिग के जमानत अधिकार को सरल तरीके से समझाया गया है:

इसे भी पढ़ें:  हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 16(3) के तहत विवाह को रद्द करने के आधार क्या है?

जमानत का अधिकार

  • JJ एक्ट के तहत माना जाता है कि नाबालिग को जमानत मिल सकती है, जब तक कि उस पर कोई गंभीर अपराध (जैसे हत्या या बलात्कार) का आरोप न हो।
  • कानून का झुकाव सुधार की ओर होता है, न कि सजा की ओर, क्योंकि नाबालिगों को सुधारने की अधिक संभावना होती है।

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB)

  • JJB यह तय करता है कि जमानत दी जाए या नहीं, मामले के विवरण और बच्चे की परिस्थितियों के आधार पर।
  • नाबालिग की उम्र, अपराध की प्रकृति और उसके फिर से अपराध करने की संभावना पर विचार किया जाता है।

जमानत की शर्तें

  • अगर जमानत दी जाती है, तो माता-पिता या अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना होता है कि बच्चे की निगरानी हो।
  • नाबालिग को काउंसलिंग में भाग लेने या परोबेशन अधिकारी द्वारा निगरानी किए जाने जैसी शर्तों का पालन करना पड़ सकता है।

न्यायपूर्ण व्यवहार का अधिकार

  • नाबालिगों को जमानत मिलने का एक मुख्य कारण यह है कि कानून उन्हें सुधार योग्य व्यक्ति मानता है, न कि अपराधी।
  • आखिरकार, जमानत का अधिकार इस समझ पर आधारित है कि नाबालिगों को केवल सजा नहीं, बल्कि सुधारने का अवसर दिया जाए। उनके भविष्य और भलाई को प्राथमिकता दी जाती है।

निष्कर्ष

जब एक नाबालिग के खिलाफ कानूनी आरोप होते हैं, तो यह पूरे परिवार के लिए तनावपूर्ण अनुभव हो सकता है। हालांकि, नाबालिग न्याय प्रणाली का उद्देश्य सजा देना नहीं, बल्कि सुधार करना है। नाबालिग अपराधियों के अधिकारों और उपलब्ध कानूनी सहायता को समझकर, आप इस प्रक्रिया को अधिक आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ा सकते हैं।

आपके बच्चे को इस मुश्किल समय में मदद करने की कुंजी है, पहले कानूनी सहायता प्राप्त करना, डाइवर्जन या परिवीक्षा जैसे वैकल्पिक कार्यक्रमों का उपयोग करना, और सुधार पर ध्यान केंद्रित करना। सही मदद से, आपका बच्चा इस चुनौती को पार कर सकता है और एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ सकता है।

याद रखें, कानूनी सहायता हर कदम पर उपलब्ध है, शुरुआती वकील से सलाह से लेकर सजा के बाद सुधार कार्यक्रमों तक। सही कदम उठाने से आपके बच्चे की जिंदगी में बड़ा फर्क पड़ सकता है।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. नाबालिग अपराधी को कानूनी सहायता कैसे मिल सकती है?

नाबालिग अपराधियों को वकील से कानूनी मदद, काउंसलिंग, सुधार कार्यक्रम और परिवीक्षा जैसी सहायता मिल सकती है। यह सब सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, न कि सजा देने पर।

2. क्या नाबालिग को जमानत मिल सकती है?

हां, नाबालिग को जमानत मिल सकती है, जब तक वह गंभीर अपराध (जैसे हत्या या बलात्कार) में शामिल न हो। जमानत देने का निर्णय जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) पर निर्भर करता है।

3. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 क्या है?

यह एक्ट नाबालिगों के मामलों में न्याय प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, जो सजा की बजाय सुधार पर जोर देता है। इसका उद्देश्य नाबालिगों को बच्चों के लिए अनुकूल न्याय दिलाना है।

4. नाबालिग अपराधी के अधिकार क्या होते हैं?

नाबालिगों को वकील का अधिकार, चुप रहने का अधिकार, निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार, और सम्मान से बर्ताव का अधिकार होता है। ये अधिकार उन्हें उचित न्याय सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।

5. अगर मेरा बच्चा अपराध के आरोप में फंसा है, तो मुझे क्या करना चाहिए?

आपको तुरंत एक नाबालिग रक्षा वकील से संपर्क करना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपका बच्चा बिना वकील के पुलिस से सवालों का जवाब न दे। साथ ही, अदालत की सुनवाई में भी भाग लें और सुधारात्मक कार्यक्रमों के बारे में सोचें।

Social Media