जब किसी कपल का डाइवोर्स होता है। तो आमतौर पर उन्हें लगता है कि उनकी ज़िंदगी में अब कुछ नहीं बचा। लेकिन फिर समय के साथ उन्हें पता लगता है की डाइवोर्स ज़िंदगी ख़त्म होना नहीं बल्कि नई ज़िंदगी की शुरुवात है। ज्यादातर लोगों को यह बात तब समझ आती है, जब उनकी लाइफ में उन्हें सहारा और प्यार देने वाला कोई आ जाता है। लेकिन अगर कोई डिवोर्सी व्यक्ति अपनी दूसरी शादी के बारे में सोंच रहा है। तो उसे इससे सम्बन्धित कानूनों के बारे में भी जान लेना चाहिए। आईये जानते है कि भारत के एक डाइवोर्सी व्यक्ति को दोबारा शादी करने के लिए कितने समय तक रुकना होगा और क्या नियम फॉलो करने होंगे।
(1) आपसी सहमति से डाइवोर्स की डिक्री:-
दोनों पार्टनर्स आपसी सहमति से डाइवोर्स लेने के बाद कभी भी शादी कर सकते है। इस डाइवोर्स की डिक्री मिलने के बाद दूसरी शादी करने के लिए कानूनी तौर पर कोई टाइम लिमिट नहीं दी गयी है। यह डाइवोर्स दोनों पार्टनर्स के समझौते के आधार पर होता है। इसलिए इस केस में एक पार्टनर के शादी करने पर दूसरे पार्टनर का आपत्ति जताने या कोर्ट में अपील करने की सिचुएशन पैदा नहीं होती है।
आपसी सहमति से डाइवोर्स की सारी जानकारी
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(2) कंटेस्टेड डाइवोर्स की डिक्री:-
कंटेस्टेड डाइवोर्स तब होता है, जहां एक पार्टनर दूसरे पार्टनर से डाइवोर्स लेना चाहता है, लेकिन दूसरा पार्टनर डाइवोर्स नही लेना चाहता। हिन्दू मैरिज एक्ट, 1955 के अनुसार, कंटेस्टेड डाइवोर्स होने के बाद दोनों पार्टनर्स को दूसरी शादी करने के लिए, डाइवोर्स की डिक्री जारी होने के कम से कम 3 महीने या 90 दिनों का वेट/इंतज़ार करना होगा। अगर डाइवोर्सी व्यक्ति 90 दिनों से पहले शादी कर लेता है, तो उस दूसरी शादी की कानून की नज़र में कोई अहमियत नहीं है। चाहे वह पूरे रीती-रिवाज़ों से ही क्यों ना की गयी हो।
कंटेस्टेड डाइवोर्स की सारी जानकारी
(3) एक तरफ़ा डाइवोर्स की डिक्री:-
जब एक पार्टनर दूसरे पार्टनर से डाइवोर्स लेने के लिए कोर्ट में अपील करता है। तो दूसरे पार्टनर को इसके बारे में सूचित किया जाता है। सूचना मिलने पर भी अगर दूसरा पार्टनर कोर्ट में डाइवोर्स की कार्यवाही के लिए पेश नहीं होता हैं। तो कार्यवाही के लिए कोर्ट द्वारा आगे की तारीख दे दी जाती है। ताकि अगली हियरिंग में कार्यवाही हो सके।
लेकिन अगर दूसरा पार्टनर अगली कार्यवाही में भी पेश नहीं होता है। तो कोर्ट द्वारा एक तरफ़ा डाइवोर्स दिया जा सकता है। डाइवोर्स की पेटिशन फाइल करने वाले पार्टनर को यह अधिकार दिया गया है कि वह डाइवोर्स की डिक्री जारी होने के 6 महीने बाद तक अपनी दूसरी शादी के लिए इंतज़ार करे। वह 6 महीने बाद कानूनी रूप से किसी और से दूसरी शादी कर सकता है।