वारंट वह कानूनी आदेश है जो अदालत द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने या किसी स्थान पर तलाशी लेने के लिए जारी किया जाता है। आमतौर पर, जब किसी पर कोई गंभीर अपराध का आरोप होता है और वह अदालत के समन का पालन नहीं करता, तो वारंट जारी किया जाता है।
विशेष रूप से, गैर–जमानती वारंट (Non-Bailable Warrant) एक गंभीर कानूनी स्थिति को दर्शाता है। यह तब जारी किया जाता है जब आरोपित व्यक्ति अदालत में हाजिर नहीं होता या गंभीर अपराधों का सामना कर रहा होता है।
वारंट के प्रकार – जमानती और गैर-जमानती
कानूनी प्रक्रिया में दो प्रकार के वारंट होते हैं:
- जमानती वारंट: जब किसी व्यक्ति पर आरोप होता है, लेकिन वह आसानी से जमानत पर रिहा हो सकता है।
- गैर–जमानती वारंट: जब आरोप गंभीर होते हैं और जमानत मिलने की संभावना नहीं होती, तब इसे जारी किया जाता है।
क्यों समझना ज़रूरी है गैर-जमानती वारंट की प्रक्रिया?
गैर-जमानती वारंट जारी होने पर व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है, और उसे जमानत पाने के लिए अदालत में अतिरिक्त कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है। इस कारण से, गैर-जमानती वारंट को समझना और इससे निपटने के कानूनी उपायों को जानना बहुत ज़रूरी है।
गैर-जमानती वारंट (NBW) क्या होता है?
BNSS के अनुसार परिभाषा: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 72 में गैर-जमानती वारंट के बारे में उल्लेख किया गया है। यह तब जारी होता है जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करना अनिवार्य होता है, और उसकी जमानत की संभावना नहीं होती।
इसका क्या अर्थ है कि “गिरफ्तारी ज़रूरी है”?: इसका मतलब यह है कि अगर किसी व्यक्ति पर गंभीर अपराध का आरोप है और वह अदालत के समन पर उपस्थित नहीं हो रहा, तो अदालत इस व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए आदेश देती है। इसे गैर-जमानती वारंट (NBW) कहा जाता है।
NBW का कानूनी असर और गंभीरता: गैर-जमानती वारंट जारी होने पर आरोपी के पास जमानत पाने का विकल्प नहीं होता। इसे जारी करने का उद्देश्य आरोपी को न्यायालय में पेश करना और जांच में सहयोग सुनिश्चित करना होता है।
जमानती वारंट और गैर-जमानती वारंट में अंतर
आधार | जमानती वारंट | गैर–जमानती वारंट |
क्या गिरफ्तारी के बाद ज़मानत मिलती है? | हाँ | कोर्ट की अनुमति से ही |
अपराध की गंभीरता | हल्के | गंभीर/गंभीर लापरवाही |
कानूनी प्रक्रिया | सरल | सख्त और अनुशासनात्मक |
पुलिस की कार्रवाई | नोटिस देकर बुलावा | सीधे गिरफ्तारी |
गैर-जमानती वारंट कब जारी किया जाता है?
- बार-बार समन/बेल वारंट के बावजूद कोर्ट में हाज़िर न होना
- गंभीर अपराधों में जैसे हत्या, बलात्कार, धोखाधड़ी आदि
- आरोपी के भागने या सबूत नष्ट करने की आशंका होना
- जांच में सहयोग न देने की स्थिति में
- जानबूझकर प्रक्रिया में देरी करना
NBW के खिलाफ कानूनी उपाय क्या हैं?
जब गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी हो जाता है, तो आरोपी के पास कुछ कानूनी उपाय होते हैं, जिससे वह अपनी गिरफ्तारी से बच सकता है या राहत प्राप्त कर सकता है।
- NBW रद्द करवाने की अर्जी: यदि NBW गलत तरीके से जारी हुआ है, तो अदालत में NBW रद्द करवाने के लिए अर्जी डाली जा सकती है।
- अग्रिम जमानत (BNSS 482): अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करके आरोपी गिरफ्तारी से पहले राहत प्राप्त कर सकता है।
- समर्पण करके नियमित जमानत (BNSS 480/483): आरोपी कोर्ट में समर्पण कर सकता है और उसके बाद जमानत के लिए आवेदन कर सकता है।
- रिट याचिका: यदि आरोपी को लगता है कि NBW गलत है, तो हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकता है।
- वकील की भूमिका: वकील की मदद से सही समय पर उचित कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं, ताकि आरोपी को राहत मिल सके।
NBW जारी होने पर आपकी जिम्मेदारियाँ
- तुरंत वकील से संपर्क करें: वकील से तुरंत संपर्क करके आप अपने कानूनी अधिकारों को समझ सकते हैं और सही कार्रवाई कर सकते हैं।
- भागने या छिपने की गलती न करें: भागने या छिपने से स्थिति और गंभीर हो सकती है। समर्पण करना हमेशा बेहतर होता है।
- समर्पण करने का सही तरीका अपनाएं: समर्पण के बाद, आप जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं और गिरफ्तारी से बच सकते हैं।
- दस्तावेज़ तैयार रखें: यदि आप किसी कारण से अनुपस्थित रहे, तो मेडिकल प्रमाण या अन्य दस्तावेज़ तैयार रखें जो आपकी स्थिति स्पष्ट कर सकें।
क्या NBW के बाद बेल मिल सकती है?
NBW जारी होने के बाद बेल मिल सकती है, लेकिन यह केस की गंभीरता पर निर्भर करता है।
- गंभीर अपराधों जैसे हत्या या बलात्कार में बेल मुश्किल हो सकती है, लेकिन हल्के मामलों में बेल मिल सकती है।
- गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी को कोर्ट में खुद को प्रस्तुत करना जरूरी है। यह कोर्ट में राहत के लिए मदद करता है।
- बेल के लिए अर्जी में मजबूत तर्क, जैसे आरोपी का चरित्र और अपराध की प्रकृति, पेश किए जाने चाहिए।
- यदि बेल मिल जाती है, तो आरोपी को कोर्ट की शर्तों का पालन करना होता है, जैसे कोर्ट में नियमित हाजिरी।
NBW में पुलिस की भूमिका और गिरफ्तारी प्रक्रिया
NBW के बाद पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। पुलिस गिरफ्तारी करती है और आरोपी को अदालत में पेश करती है।
- गिरफ्तारी कैसे की जाती है? पुलिस आरोपी को वारंट दिखाकर गिरफ्तार करती है और फिर उसे कोर्ट में पेश करती है।
- पुलिस को वारंट दिखाना अनिवार्य है: पुलिस को वारंट दिखाना अनिवार्य होता है, ताकि गिरफ्तारी कानूनी तरीके से की जा सके।
- रिमांड और कोर्ट में पेशी की प्रक्रिया: गिरफ्तारी के बाद, आरोपी को रिमांड पर पुलिस के पास भेजा जा सकता है और फिर उसे अदालत में पेश किया जाता है।
- महिला और बच्चों के मामलों में विशेष प्रावधान: महिला और बच्चों की गिरफ्तारी में विशेष कानूनी प्रक्रियाएँ होती हैं, जैसे महिला पुलिसकर्मियों की उपस्थिति और बच्चों के मामलों में अलग नियम।
सुप्रीम कोर्ट – NBW का सीमित उपयोग
1 मई 2024 को, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गैर-जमानती वारंट केवल उन्हीं मामलों में जारी किए जाने चाहिए जहाँ आरोपी गंभीर अपराधों में शामिल हो, और उसके फरार होने या साक्ष्य नष्ट करने की संभावना हो। अदालत ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बिना ठोस कारण के नहीं छीना जा सकता।
दिल्ली हाई कोर्ट – पुलिस जांच के लिए NBW जारी नहीं किया जा सकता
दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्णय दिया कि धारा 73 के तहत मजिस्ट्रेट द्वारा आरोपी को पुलिस के समक्ष पेश करने के लिए गैर-जमानती वारंट जारी करना अवैध है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे वारंट केवल आरोपी को कोर्ट में पेश करने के लिए जारी किए जा सकते हैं।
झारखंड हाई कोर्ट – जमानती वारंट की रिपोर्ट के बिना NBW जारी नहीं किया जा सकता
झारखंड हाई कोर्ट ने कहा कि जब तक जमानती वारंट की निष्पादन रिपोर्ट प्राप्त न हो, तब तक गैर-जमानती वारंट जारी करना कानूनी नहीं है। अदालत ने यह भी निर्देशित किया कि मजिस्ट्रेट को आरोपी के छिपने या गिरफ्तारी से बचने के ठोस कारण दर्ज करने चाहिए।
निष्कर्ष
गैर-जमानती वारंट कोई अंत नहीं है, बल्कि एक कानूनी चेतावनी है। घबराएं नहीं—समय पर वकील से सलाह लें, कोर्ट में समर्पण करें और बेल की प्रक्रिया अपनाएं। भागने या छिपने की बजाय कानूनी प्रक्रिया का पालन करने से गिरफ्तारी से बचा जा सकता है और केस को सही दिशा दी जा सकती है।
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FAQs
1. क्या NBW मिलते ही गिरफ्तारी जरूरी है?
नहीं, आप कोर्ट में समर्पण करके बेल ले सकते हैं।
2. क्या FIR होते ही NBW बन जाता है?
नहीं, NBW तभी जारी होता है जब आरोपी सहयोग नहीं करता।
3. क्या अग्रिम जमानत NBW में मिल सकती है?
हां, यदि उचित कारण हो तो मिल सकती है।
4. क्या NBW हाईकोर्ट से रद्द किया जा सकता है?
हां, रिट याचिका के जरिए राहत मिल सकती है।
5. क्या कोर्ट में वकील के माध्यम से पेश हो सकते हैं?
हां, कुछ मामलों में कोर्ट वकील की पेशी स्वीकार करता है।