घरेलू हिंसा होने पर कहाँ शिकायत करें?

घरेलू हिंसा होने पर कहाँ शिकायत करें?

घरेलू हिंसा के मामले में आप निम्नलिखित स्थानों पर शिकायत कर सकते हैं:

पुलिस स्टेशन

सबसे पहले आप अपने निकटतम पुलिस स्थान पर जा सकते हैं और वहां हिंसा का मामला दर्ज करवा सकते हैं। आपको घटना के बारे में सभी विवरण प्रदान करने चाहिए और उनसे एक अधिकारी की मुलाकात करने के लिए अनुरोध करें।

महिला हेल्पलाइन

आप महिला हेल्पलाइन की (टोल-फ्री नंबर 181) पर संपर्क कर सकते हैं। वे आपकी मदद करेंगे और आपको आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करेंगे।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

नारी निर्यातन न्यायालय

आपके राज्य में नारी निर्यातन न्यायालय हो सकता है, जहां आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आपको इसके लिए नजदीकी कोर्ट या अन्य संबंधित न्यायिक संस्था से संपर्क करना होगा।

महिला संरक्षण गृह

आप अपने क्षेत्र में स्थापित महिला संरक्षण गृह की भी सहायता ले सकते हैं। ये संगठन आपको सहायता प्रदान करने में,आपको सुरक्षित स्थान प्रदान करने में और आपके मामले की जांच करने में आपकी मदद करेगें 

भारत में घरेलू हिंसा के मामले में क्या होता है?

भारत में घरेलू हिंसा को विधिक रूप से “दहेज प्रताड़ना” और “सती प्रथा” जैसे कुरीतियों से जाना जाता था, लेकिन अब इसे “दंडनीय अपराध” के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है। इसे भारतीय कानून के तहत दंडनीय अपराध माना जाता है।

घरेलू हिंसा के मामलों में मुख्य रूप से महिलाओं को शामिल किया जाता है, जिसमें वे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक या वित्तीय रूप से उत्पीड़ित होती हैं। यह हिंसा पति या पति के परिवार के द्वारा की जाती है। यह शारीरिक चोट,( मामूली से लेकर गंभीर चोट तक) शारीरिक या मानसिक अत्याचार, बदला लेने की कोशिश, दहेज प्रताड़ना, सती प्रथा, सामुदायिक उत्पीड़न या अन्य रूपों में हो सकती है।

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डोमेस्टिक वायलेंस में कौन सी धारा लगती है?

भारतीय कानून में डोमेस्टिक वायलेंस के मामलों के खिलाफ कई धाराएं हैं। निम्नलिखित धाराएं डोमेस्टिक वायलेंस के मामलों को कवर कर सकती हैं:

भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए

इस धारा के तहत, दहेज प्रताड़ना के मामलों को शामिल किया जाता है। जब पति या पति के परिवार वाले महिला से खराब और क्रूर तरीके से बातचीत करते हैं और विवाहित महिला को सामूहिक रूप से उत्पीड़ित करते हैं, तो यह धारा लगती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 304 बी

यह धारा डोमेस्टिक वायलेंस के मामलों में दहेज हत्या को कवर करती है। अगर किसी महिला की मौत, शादी के बाद हिंसा के परिणामस्वरूप होती है और वह भी शादी के बाद के 7 साल के अंदर, तो इस धारा के तहत दोषी को दंडित किया जा सकता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 498 बी: यह धारा दहेज के लिए जलाने के मामलों को कवर करती है। यदि किसी महिला की जिंदगी खतरे में होती है, या किसी को बुरी तरह से पीड़ित किया जाता है दहेज लाने के लिए, तो इस धारा के तहत दोषी पर दंडनीय कार्यवाही हो सकती है।

डोमेस्टिक वायलेंस कितने प्रकार के होते हैं?

डोमेस्टिक वायलेंस विभिन्न प्रकारों में हो सकता है। यहां कुछ प्रमुख डोमेस्टिक वायलेंस के प्रकार बताए गए हैं:

शारीरिक हिंसा

यह डोमेस्टिक वायलेंस का सबसे प्रमुख और प्रमाणित प्रकार है। जिसमें शारीरिक चोट या गंभीर चोट, मारपीट, थप्पड़ – घुसा तथा अन्य कई शारीरिक अत्याचार शामिल होते हैं।

मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न

इसमे महिला को मानसिक या भावनात्मक रूप से पीड़ित किया जाता है, जैसे कि आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग, निरंकुशता, आत्महत्या के नाम से धमकाना , महिला में निराशा को बढ़ावा देना और इंसल्ट करना, शामिल हैं।

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वित्तीय उत्पीड़ना

यह डोमेस्टिक वायलेंस का एक और प्रकार है, जिसमें पति या पति के परिवार के सदस्य द्वारा महिला का पैसों, संपत्ति या आर्थिक संसाधनों के संबंध में उत्पीड़न किया जाता है।

किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से सम्पर्क कर सकते है। यहां आपको पूरी सुविधा दी जाती है और सभी काम कानूनी रूप से किया जाता है।

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