किस रेप केस ने बदला भारत का क़ानून?

किस रेप केस ने बदला भारत का क़ानून?

एक ऐतिहासिक रेप केस:- कई बार कुछ केसिस इतिहास का हिस्सा बन जाते है। और कुछ केसिस इतिहास बना देते है। ऐसा ही कुछ भंवरी देवी के केस में भी हुआ। 30 साल पहले 22 सितंबर, 1992 को राजस्थान की एक अनपढ़, पिछड़ी जाति की, राजस्थान सरकार के महिला विकास कार्यक्रम में काम करने वाली भंवरी देवी का रेप हुआ था। रेप का आरोप उनके गांव के प्रभावशाली गुज्जरों पर था। 

क्यों हुआ उनके साथ ऐसा:- 

1985 में, भंवरी देवी के काम की वजह से उनके साथ यह दुष्कर्म हुआ था। क्योंकि कुछ समय पहले उन्होंने एक नौ महीने की गुज्जर लड़की की शादी रोकने की कोशिश की थी। वह लोगो के घर जाकर उन्हें भ्रूण हत्या, दहेज, बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठती थी। साथ ही, महिलाओं को साफ-सफाई, परिवार नियोजन और लड़कियों को स्कूल भेजने के फायदों के बारे में भी बताती थीं। इस केस में भंवरी देवी ने पहले ही कहा था कि यह लोग खतरनाक हैं। और उनकी परेशानी भी बन सकते है। लेकिन अधिकारियों ने कहा कि सभी बाल विवाह को रोकना जरूरी है। और साथ में शादी रोकने के लिए एक पुलिस अफसर भेजा था। लेकिन वह सिर्फ मिठाई खाकर चला गया। 

हालांकि, गाँव वालो ने भंवरी देवी को बाल विवाह रोकने की कोशिश करने के लिए सज़ा के रूप में उसके परिवार का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार कर दिया। और उसके मालिक के साथ मारपीट की गई, तो भंवरी को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।जबकि उसके हस्बैंड को एक अन्य गूजर ने पीटा।

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कानून के अनुसार नहीं किया काम:- 

अब भंवरी देवी लगभग 70 साल की हैं, लेकिन अभी भी उन्हें वह घाव याद है। उन्होंने बताया, शाम के समय वो और उनके हस्बैंड खेत में काम कर रहे थे। तभी पांच गुज्जर उनके हस्बैंड को डंडे से पीटने लगे। और उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया। रेप के 52 घंटे के बाद उनका चेक-अप किया गया। हालांकि, भारतीय कानून के अनुसार यह 24 घंटों में होना जरूरी है। उसके बाद कुछ लोकल अखबारों ने भंवरी देवी के केस की रिपोर्ट किया और महिला कार्यकर्ताओं ने इसका जमकर विरोध किया। 

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कोर्ट की दलीलें:- 

एक के बाद एक पांच जजों को बिना किसी रीज़न के ट्रांसफर कर दिया गया। उसके बाद, छठे जज ने 15 नवंबर, 1995 को भंवरी केस को खारिज कर दिया और सभी पांचों आरोपियों को बरी कर दिया। साथ ही यह अजीबोगरीब दलीलें भी दी गयी कि पति अपनी पत्नी का रेप होते नहीं देख सकता था। गांव का प्रधान, अलग-अलग जाति के पुरुष, 60-70 साल के बुजुर्ग और रिश्तेदार एक दूसरे के सामने रेप नहीं कर सकते है। 

न्याय लेना मुश्किल:- 

जयपुर के गैर सरकारी संगठन ‘विशाखा’ ने भंवरी देवी को इंसाफ दिलाया। ‘विशाखा’ और बाकि महिला समूहों के दबाव में राजस्थान सरकार ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की। हालांकि,रेप के 15 साल बाद(2007 तक) राजस्थान हाईकोर्ट में इस केस पर सिर्फ एक बार सुनवाई की गयी जिस दौरान दो आरोपियों की मौत हो चुकी थी।

विशाखा निर्णय:-

सुप्रीम कोर्ट में, विशाखा और चार अन्य महिला संगठनों ने ‘राजस्थान राज्य और भारत संघ’ के खिलाफ एक अपील की, कि भंवरी के काम की वजह से ही बलात्कारियों को गुस्सा आया था। एक महिला ने अपना काम किया, तो उसके साथ बलात्कार किया गया। अपील का रिजल्ट यह निकला कि अगस्त, 1997 में महिलाओं के साथ उनके “कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न” होने पर, सरकार को इससे निपटने के लिए दिशा-निर्देश जारी किये गए। जिन्हे “लोकप्रिय विशाखा दिशानिर्देश” के रूप में जाना जाता है। भारत में इसे “महिला समूहों” के लिए एक कानूनी जीत समझा जाता है। साथ ही, सन 2000 में जग मुंद्रा ने भंवरी की कहानी पर बवंडर नामक फिल्म बनाई थी।

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