जज दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने अतुल कुमार सिंह उर्फ अतुल राय पुत्र श्री भरत सिंह v उत्तर प्रदेश राज्य (2022) के केस में बेल एप्लीकेशन पर फैसला सुनाते हुए यह कहा कि क्रिमिनल्स को पॉलिटिक्स में प्रवेश/एंटर करने से रोकने के लिए ‘सामूहिक इच्छाशक्ति’ दिखाना संसद/पार्लियामेंट की जिम्मेदारी है ताकि उन्हें लेजिस्लेचर को प्रभावित करने से रोका जा सके और देश के लोकतंत्र व् कानून को बचाया जा सके।
यह टिप्पणी उस समय की गई जब बहुजन समाज पार्टी के एक मौजूदा सांसद अतुल राय द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने के केस में फाइल की गयी पिटीशन पर कोर्ट फैसला कर रही थी। कोर्ट को यह भी पता लगा कि सांसद पर मर्डर, रेप और ऐसे अन्य जघन्य अपराधों के लिए 23 क्रिमिनल केसिस चल रहे है।
केस के फैक्ट्स –
- विक्टिम द्वारा अतुल राय के अगेंस्ट आईपीसी के सेक्शन 376, 420, 406, 506 के तहत केस फाइल किया गया था, जिसने बाद में अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट के बाहर अपने दोस्त के साथ सुसाइड करने की कोशिश की।
- बाद में उन्हें बेहद सीरियस कंडीशन में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। हालांकि उनकी मृत्यु 21.08.2021 और 24.08.2021 को हुई। बाद में राय के अगेंस्ट आईपीसी के सेक्शन 120बी, 167, 195ए, 218, 306, 504 और 506 के तहत केस फाइल किया गया।
- राय ने बेल लेने के लिए हाई कोर्ट में एप्लीकेशन फाइल की, हालांकि हाई कोर्ट ने यह कहते हुए बेल देने से मना कर दिया कि राय बाहुबली हैं, मतलब एक क्रिमिनल से राजनेता बने हैं जो उनके जघन्य अपराधों की लम्बी हिस्ट्री से क्लियर है।
- माननीय कोर्ट द्वारा यह भी नोट किया गया कि विक्टिम की एफआईआर पर पुलिस इन्वेस्टीगेशन के परिणामस्वरूप चार्ज शीट फाइल होने पर आरोपी ने विक्टिम के अगेंस्ट कई केस फाइल करवाकर उस पर गलत दबाव डालकर उसे, उसके दोस्त और गवाहों को परेशान किया।
- कोर्ट ने विक्टिम द्वारा सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस, वाराणसी को फाइल किए गए एप्लीकेशन को भी ध्यान में रखा, जिसमें कहा गया था कि आरोपी उसे फिज़िकली और मेंटली परेशान कर रहा था और कोर्ट के सामने अपना ब्यान बदलने के लिए क्रूरता/क्रुएलिटी की गई थी, जिसकी वजह से वह सुसाइड करने के करीब आती जा रही थी।
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क्रिमिनल्स के पॉलिटिक्स में एंट्री से रिलेटेड कोर्ट की ऑब्ज़र्वेशन –
- कोर्ट ने कहा कि यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि साल 2019 में चुने गए लोकसभा के सभी मेंबर्स में से 43% के अगेंस्ट क्रिमिनल केसिस पेंडिंग थे और उनमें से ज्यादातर जघन्य अपराधों से रिलेटेड थे।
- कोर्ट ने कहा कि कई केसिस में यह देखा गया है कि मर्डर,रेप, किडनेपिंग आदि जैसे सीरियस और जघन्य अपराधों के आरोपित व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिए एक पोलिटिकल पार्टी से टिकट मिला और यहां तक कि वह सदन/पार्लियामेंट के लिए भी इलेक्ट हुआ।
- कोर्ट ने जनहित फाउंडेशन और अन्य v यूओआई और अन्य (2019), के केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का उल्लेख किया।
कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही शर्मनाक सिचुएशन है जहां कानून तोड़ने वाले ही कानून बनाने वाले बन जाते हैं और पुलिस के प्रोटेक्शन में चले जाते हैं।
कोर्ट ने भारत के इलेक्शन बोर्ड को यह सुनिश्चित करने के लिए इंस्ट्रक्शंस दिए कि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जाए, लेकिन पार्लियामेंट की सामूहिक इच्छा यह नहीं है।
ऊपर बताये केस में कोर्ट ने कहा कि अगर राजनेता कानून तोड़ने वाले हैं, तो नागरिक पारदर्शी और जवाबदेह सरकार की उम्मीद नहीं कर सकते।
- कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि पहले, यह ‘बाहुबली’ जाति, धर्म के आधार पर या पॉलिटिक्ल सपोर्ट के लिए चुनावी उम्मीदवारों का सपोर्ट करते थे। हालाँकि, अब वह खुद चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें टिकट देने वाली पार्टियों को उनके क्रिमिनल ट्रैक रिकॉर्ड से कोई परेशानी नहीं है।
- कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि पहले, यह ‘बाहुबली’ जाति, धर्म के आधार पर या पॉलिटिक्ल सपोर्ट के लिए चुनावी उम्मीदवारों का सपोर्ट करते थे। हालाँकि, अब वह खुद चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें टिकट देने वाली पार्टियों को उनके क्रिमिनल ट्रैक रिकॉर्ड से कोई परेशानी नहीं है।
- साथ ही कोर्ट ने सिविल सोसाइटी की जिम्मेदारी पर भी जोर दिया कि वह अपनी जाति, धर्म या किसी अन्य आधार की परवाह किए बिना अपने कैंडिडेट्स को चुने और यह सुनिश्चित करे कि ऐसे क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को ना चुने।
- अंत में, कोर्ट ने कहा कि यह पार्लियामेंट और भारत के इलेक्शन कमिशन की जिम्मेदारी है कि वह जरूरी उपाय करे ताकि क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले इन राजनेताओं को लेजिस्लेचर से दूर रखा जा सके और पॉलिटिक्स और क्रिमिनल्स के बीच इस अपवित्र गठबंधन को ख़त्म किया जा सके।
लीड इंडिया एक्सपेरिएंस्ड लॉयर्स प्रदान करता है जो मर्डर, रेप, किडनेपिंग आदि जैसे क्रिमिनल ओफ्फेंसिस से जुड़े केसिस को सॉल्व कर सकते है। किसी भी लीगल एडवाइस के लिए या लीगल मैटर के बारे में मार्गदर्शन लेने के लिए, आप हमसे ऑनलाइन या फोन कॉल पर संपर्क कर सकते हैं।