सहमति से बने संबंध को रेप क्यों नहीं कहा जा सकता है?

सहमति से बने संबंध को बलात्कार क्यों नहीं कहा जा सकता है?

आजकल भारत में तेजी से नई सभ्यता बढ़ रही है। इस सभ्यता के अनुसार एक लड़के और लड़की के बीच का अंतर कम हुआ है। लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते है, एक सकरात्मक और एक नकारात्मक। कई बार एक पुरुष और महिलाओं के साथ में रहने की वजह से इसके काफी सारे नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते है। जिनमे से एक झूठा रेप का केस करना भी है। ऐसा नहीं है की सभी रेप केसिस झूठे होते है। लेकिन कई बार देखने को मिला है कि महिलाएं जानबूझकर पुरुषों पर, जबरदस्ती संबंध बनाने का गलत इलज़ाम लगा देती है, चाहें वो किसी डर की वजह से हो या किसी मजबूरी की वजह से हो या फिर बदला लेने की भावना से।  

ज्वलंत केस क्या था?

ऐसा ही एक केस दिल्ली के न्यू उस्मानपुर इलाके में भी हुआ था। वह एक रेप का केस था, हालाँकि उस केस में कोर्ट ने आरोपी को जल्दी ही जमानत मुहैया करा दी गयी थी। इस केस में 20 साल की एक महिला द्वारा एक पुरुष पर रेप का आरोप लगाया गया था। महिला की माता एक फैक्ट्री की कर्मचारी थी और पिता अंडों की रेहड़ी लगाते थे। आरोप यह था कि पुरुष ने महिला को शादी के झांसे में फंसा कर उसके साथ संबंध बनाए है। जबकि कोर्ट में पेशी के दौरान प्रतिद्वंद्वी वकील द्वारा साबित किया गया कि पुरुष और महिला दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे व् प्रेमी थे और दोनों के बीच सभी संबंध सहमति से ही बने थे।

इसे भी पढ़ें:  अगर पुलिस आपको गाली दे तो क्या करें?

जिस पर आरोप लगाया गया था वह पुरुष मकसूद महिला के घर में किराये पर दूसरी मंजिल पर रहता था। कोर्ट में कहा गया कि 10 अक्टूबर 2020 को रात में महिला अपने घर की छत पर सो रही थी। जब महिला टॉयलेट जाने के लिए उठी, तो उस समय मकसूद उसे बहला फुसलाकर अपने कमरे में ले गया था। जहां उसने महिला के साथ रेप किया। मकसूद ने महिला को यह भरोसा दिलाया कि कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद वह दोनों शादी कर लेंगे और ख़ुशी-खुशी एक साथ रहेंगे। इसके बाद, काफी समय तक यही सब चलता रहा। कुछ महीनों के बाद जब कोरोना महामारी के मामले कम होने लगे और देश में आना-जाना शुरू हो गया तब महिला अपनी बहन के पास रहने के लिए आ गयी, जबकि मकसूद बिहार में स्थित अपने गांव चला गया।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

अलग-अलग घर और राज्य में रहने के दौरान भी लगातार उन दोनों की मोबाइल के जरिये बातें होती थी। एक दिन महिला ने मकसूद को फोन पर बताया कि वह दो महीने से गर्भवती है। इसके कुछ समय बाद मक़सूद दिल्ली वापस आया और महिला से शादी करने से साफ इंकार कर दिया। हँलांकि, महिला ने खुद ही गोलियां खाकर अपना गर्भपात किया। इसके बाद महिला ने सभी बातें अपने परिवारवालों को बता दी। महिला के परिवार ने थाने में पुरुष के खिलाफ एफआईआर कराने का फैसला किया। पुलिस ने महिला के बयान पर रेप की धाराओं लगाते हुए उसकी शिकायत दर्ज कर आरोपी को अरेस्ट कर लिया।

इसे भी पढ़ें:  भारत में ऑनलाइन गेमिंग पर बेहतर कानून होने की जरूरत क्यों है?

पुलिस ने इस केस की चार्जशीट तैयार करके कोर्ट में दाखिल कर दी। जिसके बाद, फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने दर्ज हुए इस रेप केस पर आगे की सुनवाई शुरू कर दी थी। सरकारी वकील ने कोर्ट में अपनी तरफ से काफी सारी दलीलें पेश की। दूसरी तरफ, बचाव पक्ष के वकील ने भी अपना पक्ष अच्छे से पेश किया। बचाव पक्ष का कहना यह था कि पुरुष और महिला दोनों पिछले दो सालों से एक-दूसरे के साथ प्रेम संबंध में थे। इस दौरान उन दोनों के बीच काफी बार शारीरिक संबंध बने और यह संबंध हमेशा दोनों की सहमति से ही बने थे। इसके बाद, फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने दोनों पक्षों की दलीलों को ध्यान से सुना और फैसला सुनाया कि दो व्यक्तियों के बीच आपसी सहमति से बनने वाले शारीरिक संबंधों को रेप नहीं माना जाता है। यह कहते हुए कोर्ट ने पुरुष को बरी कर दिया।

लीड इंडिया आपकी कैसे मदद कर सकता है?

लीड इंडिया में बहुत से एक्सपर्ट वकील हैं जो आपकी हर लीगल परेशानी को उचित तरीके से समझते है और उन परेशानियों को सुलझाने में आपकी मदद कर सकते है।

Social Media