वसीयत को बाद के एक समझौते से रद्द नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

वसीयत को बाद के एक समझौते से रद्द नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

एक ऐसा एक्सटर्नल साइन, फैक्ट्स, इनफार्मेशन या कुछ भी ऐसा जो लीगली सच्चाई को साबित करने के लिए कोर्ट में जज के सामने पेश किया जाता है। स्पेशली, एक ऐसा व्यक्ति जो जानबूझकर अपने द्वारा किये गए क्राइम को खुद एक्सेप्ट करता है और अपने सह-साजिशकर्ताओं के खिलाफ गवाही देता है, उसे सबूत या एविडेंस कहा जाता है। 

सबूत किसी भी लीगल केस का एक बहुत जरूरी फैक्टर होता है क्योंकि हर आरोप को साबित करने के लिए किसी सबूत द्वारा उसे सपोर्ट करने या साबित करने की जरूरत होती है, वरना आरोप खारिज हो जाता है। सबूत या एविडेंस शब्द लैटिन भाषा के एक ‘एविडेंस एविडेरे’ से आया है, जिसका मतलब होता है ‘साक्ष्य, स्पष्ट, या सबूत।

फैक्ट्स:

भारत में, मैरिड कपल्स के बीच डोमेस्टिक वायलेंस एक बहुत ही कॉमन मैटर है, मैरिड रिलेशन्स में किसी न किसी स्टेज पर, एक महिला आमतौर पर अपने हस्बैंड द्वारा किए गए डोमेस्टिक वायलेंस से पीड़ित होती है। घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा एक्ट 2005, महिलाओं के लिए एक बहुत हेल्पफुल कानून है। जिसका उद्देश्य वाइव्स/पत्नियों के अधिकारों की रक्षा करना है। ऊपर बताये गए इस एक्ट के तहत कोई भी कार्यवाही करने के लिए, एक वाइफ को कोर्ट के सामने यह प्रूफ करना होगा कि वह घरेलू हिंसा एक्ट के सेक्शन 2(ए) में डिफाइन किये गए प्रोविजन्स के तहत एक पीड़िता है और डोमेस्टिक एक्ट के सेक्शन 3 के तहत डोमेस्टिक वायलेंस की शिकार है।

यहाँ जो प्रोब्लेम्स क्रिएट होती है वह यह है कि सबूत से अपने आरोप को साबित कैसे किया जाए। डोमेस्टिक एब्यूज़ के केस में एक महिला आमतौर पर अपने साथ हुए फिज़िकल और मेंटल अत्याचार की इस तरह से फोटो या वीडियो रिकॉर्ड करती है कि अत्याचार करने वाले को पता न लगे और वो अत्याचारी द्वारा पकड़ी ना जाएं क्योंकि वह जानती है कि पकड़े जाने पर और बुरी सिचुएशन का सामना करना पड़ सकता है।

तो यहां सवाल यह उठता है कि क्या डोमेस्टिक वायलेंस के केस में किसी फोटो या वीडियो को सबूत माना जा सकता है?

हाँ, ऐसा किया जा सकता है। एग्ज़ाम्पल के लिए, कोई भी हिंसा/वायलेंस जो वाइफ के साथ उसके हस्बैंड या फैमिली मेंबर्स ने की है और महिला पर हुए अत्याचार को कोर्ट में साबित करने के लिए, महिला या किसी अन्य व्यक्ति ने छुपकर हिंसा की फोटो या वीडियो रिकॉर्ड कर ली है। तो महिला इसे प्रूफ के तौर पर कोर्ट में पेश कर सकती है। हालाँकि, डोमेस्टिक वायलेंस के केस में अपने सबूत को सही और सच्चा साबित करने के लिए आपको एविडेंस एक्ट के सेक्शन 65(B) को फॉलो करना होगा। 

एविडेंस एक्ट के तहत:

अगर एक व्यक्ति के पास किसी भी प्रकार का कोई मिडिया है जैसे – 

  • इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में कोई मीडिया, जो कागज पर प्रिंट, स्टोर्ड या रिकॉर्ड किया गया है 
  • कंप्यूटर द्वारा बनाई गई कोई मैगनेटिक मीडिया है 
  • फोन या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से रिकॉर्ड की हुई फोटो या वीडियो है 

और व्यक्ति इनमें से किसी भी मिडिया को सबूत के रूप में कोर्ट में पेश करना चाहता है, तो उस व्यक्ति को जिसने सबूत कैप्चर किया है, उसे एक सेल्फ-डिक्लेरेशन सबमिट करना होगा कि मैं ही वह व्यक्ति हूँ जिसने फोन या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की मदद से यह सबूत कैप्चर किया है। तभी कोर्ट उस सबूत को कानून के तहत एक वैलिड एविडेंस मानकर अपना आर्डर पास कर सकती है।

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इसलिए अगर कोई व्यक्ति अपने पार्टनर या फैमिली के बाकि मेंबर्स द्वारा किसी भी तरीके से डोमेस्टिक अब्यूज़ का शिकार है और विक्टिम के पास एक रिकॉर्डेड मीडिया है, तो विक्टिम उनके द्वारा किये गए अत्याचारों को साबित करने के लिए इस मिडिया को सबूत के रूप में कोर्ट में पेश कर सकता हैं।

आम तौर पर, हर दस साल में डोमेस्टिक वायलेंस के एक करोड़ से ज्यादा केसिस फाइल किए जाते हैं और इतनी सारी महिलाएं डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के तहत क्रूरता, टार्चर और सेक्सुअल अब्यूज़ का शिकार हो जाती है।

लीड इंडिया डोमेस्टिक वायलेंस की शिकार महिलाओं और किसी भी तरह से परेशान व्यक्यियों के अधिकारों के लिए हमेशा खड़ा है। साथ ही, हमेशा उनके हित और समय पर न्याय दिलाने में विश्वास रखता है।

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