किसी भी केस की हार जीत सबूतों और विटनेस के ऊपर निर्भर करती है। लेकिन कई बार गवाह को डरा धमकाकर केस को कमजोर कर दिया जाता है।
सैकड़ों ऐसे केस हुए हैं जो विटनेस के ना होने से चल नहीं पाए। सैकड़ों केसों में डर कर गवाहों ने केस में गवाही नहीं दी और गुनाहगार छूट गए।
लेकिन ऐसा नहीं है कि इसका कोइ उपाय नहीं है। भारत का क़ानून गवाहों की सुरक्षा का भी इंतजाम करता है।
अगर कोई किसी गवाह को धमकाता या डराता है तो उस के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 195A के तहत शिकायत दर्ज करवाई जाती है। धारा-195 ए गवाह को झूठी गवाही देने के लिए मजबूर करने या धमकी देने के केस में लागू होती है।
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गवाह को डराने या धमकाने के केस में दोषी पाए जाने पर 7 साल की सजा हो सकती है। धारा-195-A गवाहों को सुरक्षा प्रदान करता है। अगर गवाह चाहे तो कोर्ट से प्रोटेक्शन मांग सकता है।
कोर्ट द्वारा विटनेस प्रोटेक्शन देने के बाद यह पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि वो गवाह को सुरक्षित कोर्ट तक पहुंचाए और निष्पक्ष गवाही दिलवाए।
लेकिन जिस तरह अपराध बढ़ रहे हैं और अपराधी ताकतवर हो रहे हैं उसे देखते हुए लगता है कि विटनेस प्रोटेक्शन के लिए सख्त दिशा-निर्देश की आवश्यकता है।